Delhi Dharma Sansad: जगद्गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा बनाई गई चार शंकराचार्य की पीठों में से दो पीठ पर विवाद चल रहा है। ज्योतिष पीठ पर जगद्गुरु शंकराचार्य के रूप में स्वामी अभिमुक्तेश्वरानंद, स्वामी प्रज्ञानानंद और स्वामी वासुदेवानंद दावेदार हैं। वहीं, द्वारिका पीठ पर भी स्वामी सदानंद दावेदार हैं। मगर इन दोनों ही पीठ को लेकर विवाद चल रहा है। फिलहाल जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के निधन के बाद ज्योतिष पीठ पर स्वामी अभिमुक्तेश्वरानंद और द्वारिकापीठ पर सदानंद महाराज आसीन हुए।
20 अगस्त को Delhi में होगी Dharma Sansad
शंकराचार्य कौन बन सकता है, उसके क्या नियम हैं, उसे किस तरह का त्याग आदि करना होगा। इसको लेकर 20 अगस्त को दिल्ली में एक धर्म संसद का आयोजन किया जा रहा है। इसकी जानकारी देते हुए शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष और काली सेना के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप ने बताया कि इस धर्म संसद में श्रृंगेरी और पुरी पीठ के शंकराचार्य, सभी संन्यासी अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर,, महामंडलेश्वर ,अध्यक्ष, सचिव और सभी विद्वत परिषद को आमंत्रित किया जा रहा है। वहां पर चर्चा के बाद यह तय होगा कि कौन शंकराचार्य बन सकता है।
Delhi में Dharma Sansad क्यों होगी?
स्वामी आनंद स्वरूप का कहना है कि धर्म संसद तभी होती है, जब विषय बहुत क्लिष्ट हो जाता है। जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के ब्रहमलीन होने के बाद दोनों सीटों पर विवाद शुरू हुआ। एक पीठ पर तो विवाद बहुत दिनों से निरंतर चल रहा है। कई पीढ़ियों से चल रहा है। ब्रह्मानंद महाराज जी के कार्यकाल से ही चला आ रहा है। उस समस्या का समाधान कैसे हो, इसको लेकर के दिल्ली में हम लोग 20 अगस्त को धर्म संसद करने जा रहे हैं। इसमें तय होगा कि शंकराचार्य के सर्वोच्च पद पर कोई विवादित व्यक्ति ना बैठे। ऐसा व्यक्ति जिसकी मान्यता सर्वमान्य नहीं है, वह पद पर ना बैठे।
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स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि हम सभी सात अखाड़ों के आचार्य, महंत, सचिवों और उनके अध्यक्षों को बुलाएंगे और देशभर से जितनी विद्वत सभाएं हैं, चाहे काशी विद्वत परिषद हो, मैथिली विद्वत परिषद हो या अखिल भारतीय विद्वत परिषद हो, उन सबको बुलाएंगे और समस्या का समाधान खोजेंगे। यह तो बात कही गई है कि लड़का जन्मना ब्राह्मण होना चाहिए और क्या-क्या उसके कर्तव्य होने चाहिए, कैसा-कैसा उसको त्याग करना चाहिए, यह सब उसमें लिखा गया है, लेकिन उसकी मान्यता मानने वाले लोग बहुत कम बचे हैं। श्रृंगेरी और पुरी छोड़ करके उसकी मान्यता कहीं हो नहीं रही है।
स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि स्वामी अभिमुक्तेश्वरानंद महाराज के ऊपर एक प्रश्न है कि वह ब्राह्मण नहीं, ब्रह्म भट्ट हैं। वह भी इस पर विस्तार से बात नहीं करते कि हम ब्रह्म भट्ट नहीं है, ब्राह्मण हैं। अगर वे ब्राह्मण हैं तो कौन से ब्राह्णण हैं, उनका वार क्या है, उनके सूत्र क्या हैं और उनका गोत्र क्या है। यह सब कुछ बताना पड़ेगा। तभी जाकर के उनकी मान्यता बनेगी, अन्यथा ऐसे ही विवादित रह जाएंगे।