हल्द्वानी के बनभूलपुर में 8 फरवरी को भड़की हिंसा का असर पर्यटन और व्यापार पर भी पड़ा है। हिंसा के बाद से ही पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट देखी जा रही है। पर्यटक डर की वजह से नैनीताल का रुख नहीं कर रहे हैं। जिससे हल्द्वानी में टैक्सी कारोबार ठप हो गया है। टैक्सी स्टैंड पर टैक्सियों की कतार है लेकिन यहां टैक्सियों में सफर करने वाले पर्यटक गायब हैं। कामकाज ठप होने की उदासी इन टैक्सी चालकों के चेहरे पर साफ देखी जा सकती है। यही टैक्सी इन हजारों ड्राइवर्स की रोजी-रोटी है लेकिन पर्यटक नहीं आएंगे तो टैक्सी कैसे चलेगी और टैक्सी नहीं चलेगी तो परिवार का गुजारा कैसे होगा? यही चिंता इन टैक्सी चालकों को पिछले दो हफ्ते से खाए जा रही है।
झीलों की नगरी नैनीताल अपनी खूबसूरत वादियों और सुंदर नज़ारों की वजह से पर्यटकों का पसंदीदा स्पॉट रहा है। यही वह है कि यहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु छुट्टियां बिताने और घूमने के लिए आते हैं। हल्द्वानी के इन पहाड़ों पर टैक्सी ही यातायात का मुख्य साधन है। टैक्सी चालकों का पूरा कारोबार यहां घूमने आने वाले पर्यटकों पर निर्भर करता है। 8 फरवरी से पहले सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन बनभूलपुरा में भड़की हिंसा के बाद टैक्सी के पहियें मानो जाम हो गए हैं। आलम ये है कि कई पर्यटकों ने अपनी टैक्सी की बुकिंग तक रद्द करा दी है जिससे टैक्सी चालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
टैक्सी चालकों की मानें तो उनकी ज्यादातर गाड़ियां बैंक लोन पर हैं। कारोबार ठप हो जाने की वजह से गाड़ियों की किस्त भी नहीं भर पा रहे हैं। कुछ टैक्सी चालकों को तो कर्ज लेकर किस्त चुकानी पड़ रही है। पर्यटकों के ना आने से कमाई नहीं हो पा रही है वो अलग। टैक्सी चालकों का कहना है कि हल्द्वानी हिंसा के बाद उन्हें भारी नुकसान हो रहा है जिसकी भरपाई में लंबा समय लगेगा।
हिंसा वाले हल्द्वानी में भले ही ज़िंदगी पटरी पर लौटने लगी हो लेकिन इन टैक्सी चालकों की ज़िंदगी आउट ऑफ ट्रैक हो गई है। जेब खाली है। टैक्सी स्टैंड सूने पड़े हैं। ना पर्यटक आ रहे हैं, ना कारोबार चमक रहा है। इन टैक्सी चालकों को बेसब्री से इंतजार है उन पर्यटकों का जो इनकी ज़िंदगी में उम्मीद का नया सवेरा लेकर आएंगे।