Manglaur By-election 2024: मंगलौर विधानसभा में उपचुनाव की घोषणा के बाद सभी दल चुनावी समीकरण जोड़ने में जुट गए हैं। चुनाव लड़ने के संभावित उम्मीदवारों के कार्यालय पर भी समर्थकों की भीड़ लग रही है। बात करें मंगलौर विधानसभा सीट की, यहां पर हमेशा दो ही परिवारों का दबदबा रहा है। यहां कांग्रेस से काजी निजामुद्दीन तो बसपा से हाजी सरवत करीम अंसारी के बीच ही कड़ा मुकाबला होता रहा है। वहीं, इस बार भाजपा भी मंगलौर उपचुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरने की तैयारी में है। करीब 18 साल पहले मंगलौर में चुनाव लड़ने आए करतार सिंह भड़ाना एक बार फिर मंगलौर उपचुनाव में अपनी ताल ठोंकते हुए नजर आ रहे हैं।
हाजी सरवत करीम अंसारी के पुत्र को टिकट मिलेगा कि नहीं?
कद्दावर नेता के रूप में माने जाने वाले हाजी सरवत करीम अंसारी के देहांत के बाद समीकरण का गठजोड़ करने वाले नेताओं के आंकड़े भी कमजोर होते नजर आ रहे हैं। हालांकि, हाजी सरवत करीम अंसारी के पुत्र उबेदुररहमान उर्फ मोंटी अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने में जुट गए हैं। विधायक के देहांत के बाद मोंटी को सहानुभूति जरूर मिल रही है, लेकिन बसपा उन्हें टिकट देगी या नहीं, ये भी बड़ा सवाल बना हुआ है। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस से पूर्व विधायक रहे काजी निजामुद्दीन इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही कड़ा मुकाबला मान रहे हैं, लेकिन इस बार हाजी सरवत करीम अंसारी के पुत्र उबेदुररहमान उर्फ मोंटी अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुनावी समीकरण को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
Manglaur By-election 2024: करतार सिंह भड़ाना ने ठोंकी दावेदारी
भाजपा से दावेदारी कर रहे करतार सिंह भड़ाना ने भी मंगलौर क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। करतार सिंह भड़ाना का कहना है कि मुझे मां गंगा ने बुलाया है और अगर पार्टी ने मुझ पर भरोसा जताया और मुझको भाजपा से टिकट मिला तो भारी मतों से जीत दर्ज की जाएगी। कांग्रेस और बसपा पर प्रहार करते हुए भड़ाना ने कहा कि जब से देश आजाद हुआ है, तब से वह चुनाव लड़ते आ रहे हैं और उनके बड़े भी चुनाव लड़ते आ रहे है। उन्होंने कहा कि जब तक परमात्मा का सही आशीर्वाद नहीं मिलेगा, तब तक क्षेत्र का विकास नहीं हो सकता।
हाजी और काजी के गढ़ में Manglaur By-election 2024 हुआ दिलचस्प
मंगलौर उपचुनाव बेहद ही दिलचस्प होने वाला है। हाजी और काजी का गढ़ कहे जाने वाले मंगलौर विधानसभा में भाजपा भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। अब देखने वाली बात यह होगी कि मंगलौर विधानसभा सीट से जीत का सहारा किसके सिर पर सजता है। क्या मंगलौर विधानसभा की जनता एक बार फिर इतिहास दोहराएगी या फिर भाजपा इस बार कुछ करिश्मा दिखा पाएगी।
2002 से तीन बार विधायक रहे काजी निजामुद्दीन
उत्तराखंड के गठन के बाद मंगलौर विधानसभा से 2002 से 2007 और 2007 से 2012 तक काजी निजामुद्दीन बसपा से विधायक रहे। उसके बाद काजी ने बसपा को छोड़ कांग्रेस की सदस्यता ली और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। हाजी सरवत करीम अंसारी 2012 में बसपा से विधायक रहे। उसके बाद 2017 में कांग्रेस से काज़ी निजामुद्दीन विधायक रहे। उसके बाद 2022 में हाजी सरवत करीम अंसारी बसपा से ही विधायक बने।
- 2002- बसपा से काजी निजामुद्दीन
- 2007- बसपा से काजी निजामुद्दीन
- 2012- बसपा से हाजी सरवत करीम अंसारी
- 2017- कांग्रेस से काज़ी निजामुद्दीन
- 2022- बसपा से हाजी सरवत करीम अंसारी
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