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वाराणसी में हैट्रिक की तैयारी में PM मोदी, कितनी सीटों पर असर ?

Lok Sabha Election 2024: तीन लोक से न्यारी काशी में हर-हर महादेव शंभू काशी विश्वनाथ गंगे के साथ हर हर मोदी, घर-घर मोदी का नारा गूंज रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने तीसरी बार वाराणसी से तीसरी बार पर्चा भर दिया है।
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Lok Sabha Election 2024: तीन लोक से न्यारी काशी में हर-हर महादेव शंभू काशी विश्वनाथ गंगे के साथ हर हर मोदी, घर-घर मोदी का नारा गूंज रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने तीसरी बार वाराणसी से तीसरी बार पर्चा भर दिया है। प्रधानमंत्री के वाराणसी से चुनाव मैदान में उतरने का असर यूपी-बिहार से लेकर पूरे देश तक जाता है। वाराणसी से सांसद रहते हुए प्रधानमंत्री ने कैसे कर दिया है काशी का कायाकल्प और सियासी तौर पर उनके तीसरी बार वाराणसी से चुनाव लड़ने का क्या असर होने वाला है। आइए आपको बताते हैं।

नरेंद्र मोदी जब पहली बार 2014 में वाराणसी से चुनाव लड़ने के लिए आए तो उन्होंने कहा था- “मैं न यहां आया हूं, न मुझे किसी ने यहां भेजा है, मुझे मां गंगा ने बुलाया है।” मां गंगा और बाबा विश्वनाथ ने मोदी पर जमकर आशीर्वाद लुटाया। 2014 में मोदी ने न सिर्फ वाराणसी जीता, बल्कि पूरे देश में विजय पताका फहराई, भारत को नई ऊंचाइयों पर ले गए। मोदी 2024 के चुनाव में नामांकन दाखिल करने आए तो सबसे पहले मां गंगा की गोद में पहुंचे। गंगा सप्तमी ने इस मौके को और खास बना दिया। नामांकन दाखिल करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर पूजा-अर्चना की। गंगा जी की आराधना और बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद का सीधा कनेक्शन है। इसलिए कहा जाता है

गंगा तरंग रमणीय जटाकलापं।
गौरी निरंतर विभूषित वामभागं।।
नारायणप्रिय मनंग मदापहारं।
वाराणस्यां पुरपतिं भज विश्वनाथम।।

प्रधानमंत्री मोदी की मां गंगा की पूजा अर्चना और उसके बाद क्रूज पर उनकी यात्रा की तस्वीरें देखते ही बन रही थीं। क्रूज पर उन्होंने कुछ मीडियाकर्मियों से भी बात की- 10 साल में किए अपनी सरकार के काम गिनाए, विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया और फिर 400 पार का संकल्प दोहराया।

2014 में नरेंद्र मोदी पहली बार वाराणसी के सांसद बने तब उन्होंने वाराणसी के साथ गुजरात की वडोदरा लोकसभा सीट भी जीती थी, लेकिन बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी उनको ऐसी भायी कि उन्होंने अपनी जन्मभूमि की सीट वडोदरा छोड़ दी और काशी को अपनी कर्मभूमि बनाया। सदियों से ऐसे ही थोड़े कहा जाता है कि एक बार जो काशी आया यहीं का होकर रह जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब काशी के हो गए हैं। पर्चा भरने से पहले उन्होंने वाराणसी में 6 किलोमीटर लंबा रोडशो किया।

वाराणसी कोई समान्य शहर नहीं आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत की इस नगरी को ऐसे ही नहीं तीन लोक से न्यारी काशी कहा जाता है। ये देवाधिदेव महादेव की राजधानी है। अगर आदि देव महादेव का मूल निवास कैलाश पर्वत है तो काशी उनकी राजधानी है, जहां से वो सृष्टि का संचालन करते हैं। एक बार काशी और बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद जिसे मिलता है, वो ताउम्र यहीं का हो जाता है। काशी नगरी प्रधानमंत्री मोदी को जिस तरह अभूतपूर्व प्यार दे रही है। उससे उनकी चुनावी विजय एकतरफा लग रही है।

बीते दस साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काशी से ऐसा नाता जुड़ गया है कि यूपी के पूर्वांचल का ये शहर उनके लिए अब संसदीय क्षेत्र नहीं बल्कि घर जैसा हो गया है। वाराणसी के लोग उन्हें जबरदस्त प्यार दे रहे हैं। इसका अंदाजा उन आंकड़ों से लग सकता है, जो चुनाव नतीजे बताते हैं। 2014 में मोदी वाराणसी से 3 लाख 37 हजार वोटों से जीते थे—जबकि 2019 में उनका जीत का अंतर और बढ़ गया और उन्होंने 2019 में 4 लाख 75 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीता। मोदी के समर्थक कह रहे हैं 2024 के चुनाव में ये रिकॉर्ड भी टूटेगा।

इसकी बानगी मोदी के नामांकन में देखी जा सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट से अपना नामांकन दाखिल किया तो उनके साथ बीजेपी और केंद्र सरकार के दिग्गज नेताओं के साथ बीजेपी शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी पहुंचे। वाराणसी के जिलाधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल करते समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रस्तावक मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री मोदी के पर्चा भरने में हर चुनाव में प्रस्तावक भी बेहद खास होते हैं। इस बार जब मोदी ने लोकसभा चुनाव में पर्चा भरा तो उनके 4 प्रस्तावक थे। चारों अलग-अलग वर्ग से थे.. जिसकी राजनीति के अलावा सामाजिक समीकरणों के लिहाज से भी महत्ता समझी जा सकती है। मोदी के 4 प्रस्तावकों में शामिल हैं पहले पं. गणेश्वर शास्त्री, जिन्होंने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी। दूसरे प्रस्तावक हैं बैजनाथ पटेल जो OBC समाज से आते हैं और RSS के पुराने कार्यकर्ता हैं। तीसरे प्रस्तावक लाल चंद कुशवाहा हैं ये भी OBC समाज से आते हैं और चौथे प्रस्तावक हैं संजय सोनकर जो अनुसूचित जाति से आते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के नामांकन और उनके रोड शो में उमड़ी भीड़ साफ बता रही है कि चुनाव में उन्हें कोई टक्कर नहीं मिलने वाली है। फिर भी मोदी हैं जो किसी चुनाव को हल्के में नहीं लेते हैं। नामांकन प्रक्रिया के बाद पीएम मोदी ने रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और उनसे फीडबैक भी लिया। इस दौरान पीएम मोदी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को अपने जिले अपना बूथ मजबूत करने और वोटर्स को बीजेपी शासन के दौरान किए गए विकास कार्यों की जानकारी देने के लिए भी कहा।

लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में वाराणसी में एक जून को वोटिंग होनी है। प्रधानमंत्री मोदी के मुकाबले विपक्ष के इंडिया गठबंधन ने यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को उम्मीदवार बनाया है। अजय राय 2014 और 2019 में भी मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े थे और तीसरे स्थान पर रहे थे।

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