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सावन शिवरात्रि आज, दक्षेश्वर महादेव मंदिर में उमड़ा भक्तों का सैलाब

Sawan Shivratri 2024 के मौके पर भगवान शिव के ससुराल कनखल में स्थित Daksheshwar Mahadev Temple में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। इस दौरान 'बम-बम भोले' और 'जय भोलेनाथ' के जयकारे भी लगाए गए।
sawan shivratri 2024 Daksheshwar Mahadev Temple

Sawan Shivratri 2024: बम बम भोले, जय भोलेनाथ और जय शिवशंकर जैसे जयकारों से हरिद्वार का हर शिवालय गूंज रहा है, मगर भगवान शिव की ससुराल कनखल में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर में अलग ही नजारा देखने को मिला। मंदिर में देर रात से ही भक्तों का सैलाब उमड़ने लगा था। यहां पर लम्बी-लम्बी कतारें लग गई थीं। हर कोई जलाभिषेक करने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहा था।

Sawan Shivratri 2024: सावन में अपनी ससुराल में रहते हैं भगवान शिव

ऐसी मान्यता है कि सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव अपनी ससुराल कनखल स्थित दक्ष प्रजापति में ही रहते हैं। इस दौरान जो भी यहां पर भोलेनाथ की पूजा अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यही हाल हरिद्वार के हर महादेव मंदिर का है। वहां पर भी शिवभक्तों की कतार टूटने का नाम नहीं ले रही है। शिव भक्तों की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं।

Sawan Shivratri 2024: मुख्य पुजारी ने क्या कहा?

दक्षेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी स्वामी विशेश्वर पुरी महाराज का कहना है कि सावन मास में कोई भी भगवान का जलाभिषेक या पूजा करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। सावन में शिवरात्रि पर भोलेनाथ का अभिषेक करने का विशेष महत्व है और ऐसा करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

क्या है मान्यता?

ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव सावन में साक्षात् रूप में दक्षेश्वर महादेव मंदिर में विराजमान रहते हैं और यहीं से सृष्टि का संचालन करते है। वे लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए ही यहां रहते हैं और मात्र जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। दुनिया के सभी मंदिरों में भगवान शिव लिंग रूप में विराजते हैं, लेकिन यहां भगवान राजा दक्ष के धड़ रूप में स्थापित हैं।

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भक्तों में काफी उत्साह

भोले के भक्तों में भगवान शंकर का जलाभिषेक करने की इतनी ललक है कि वे सुबह से ही दक्षेश्वर महादेव मंदिर पहुंच गए और लाइन में लगकर अपनी अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। भक्तों की मानें तो सावन में भगवान शंकर कनखल में अपनी ससुराल में ही विराजते हैं और इस दौरान शिवरात्रि पर भगवान शंकर का जलाभिषेक करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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