Haridwar News: सनातन संस्कृति के प्रति पाश्चात्य संस्कृति का प्रेम धर्म नगरी हरिद्वार में अक्सर देखने को मिलता है। बीते दिनों भी ऐसा नजारा तब देखने को मिला, जब अखंड परमधाम आश्रम में रूस से आए दो जोड़ों ने भारतीय संस्कृति और वैदिक विधि-विधान के साथ विवाह रचाया। इस दौरान रूस से ही आये उनके मित्रों ने दूल्हों के साथ आश्रम के गेट से बारात निकाली और हिंदी गानों पर नाचते हुए शिव मंदिर पहुंचे। यहां भगवान शिव की पूजा करने के बाद सभी विवाह स्थल पहुंचे।
संतों ने बारात का किया स्वागत
बारात का संतों, महामंडलेश्वर परमहंस परमानंद और ज्योतिर्मयानंद महाराज की उपस्थिति में स्वागत किया गया। विवाह स्थल पर पूरे विधिविधान के साथ वैदिक रीति रिवाज के साथ विवाह कराया गया।
दुल्हन जहां पूरे भारतीय परिधान लहंगे आदि में सजी हुई थी तो दूल्हा भी शेरवानी पहनकर शाफ़ा पहने हुए था। वैदिक मंत्रों के बीच दोनों जोड़ों ने एक-दूसरे के साथ फेरे लिए, साथ निभाने का वचन दिया और जयमाला पहनाकर अपने गुरु का आशीर्वाद लिया और उनसे मिले प्रसाद को एक-दूसरे को खिलाया। शादी करने वाले रशियन जोड़े बुलात और अदेला, लिया और इलूर है।
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भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर हिन्दू रीतिरिवाज से वैवाहिक बंधन में बंधे दूल्हा-दुल्हन ही नहीं, उनके मित्र भी भारतीय संस्कृति के साथ इस लगाव पर खासे उत्साहित दिखाई दिए, जबकि बच्चे तो इसे उत्सुकता से देखते रहे।
मास्को के रहने वाले हैं कपल्स
महामंडलेश्वर युगपुरुष परमानंद का कहना है कि ये जोड़े मास्को से हैं। यह साधना शिविर में आते हैं, ध्यान सीखते हैं, योग और प्राणायाम करते हैं। ये भारतीय संस्कृति से बहुत प्रभावित हैं।
महामंडलेश्वर ने कहा कि पहले भी कई विदेशी जोड़ों ने भारतीय रीतिरिवाज शादी की हैं। वे जोड़े बहुत सफल हैं। इसी से प्रेरणा लेकर इस साल दो जोड़े शादी कर रहे हैं। वे बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि रूस में जब छोटे बच्चों को छोड़कर स्त्रियां चली जाती हैं तो उनको पालने पोसने की कई कठिनाइयां होती हैं। विवाह करने वाले जोड़े भारतीय संस्कृति से बहुत प्रभावित हुए हैं।
कपल्स ने साथ जीने मरने की खाई कसम
महामंडलेश्वर ज्योतिर्मयानंद का कहना है कि यह धर्म परिवर्तन का विषय नहीं है। ये लोग भारत के आध्यात्मिक से प्रभावित होकर गुरुदेव के चरणों में आते हैं, मेडिटेशन में आते हैं, मेडिटेशन का अभ्यास करते हैं और ध्यान सीखते हैं। पूर्व में भी कई विदेशियों ने यहां पर शादी की है। भारत की संस्कृति में तो शादी करते समय वचन भी लेते हैं कि अगले सात जन्म तक साथ रहेंगे। जिन लोगों के शादी की है, वे 10 वर्ष से साथ हैं।
महामंडलेश्वर ने कहा कि पाश्चात्य देशों में वाइफ, वेदर और वर्क के बारे में कहा जाता है कि ये आज हैं, कल नहीं हैं। इनका कोई भरोसा नहीं है। भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर दो जोड़ों की शादी हो रही है । पहले भी यहां पर चार जोड़ों ने शादी की थी। हर वर्ष यह लोग ध्यान साधना के लिए यहां आते हैं। जिन चार जोड़ों ने शादी की है, वे आज आराम से रह रहे हैं। आज तक उनमें कोई भी बात नहीं हुई।
महामंडलेश्वर ने कहा कि भारत में यह बीमारी पनपने लगी है कि लोग शादी करके जल्दी तलाक लेना चाहते हैं। हमारी संस्कृति है कि शादी करेंगे, लड़ाई होगी, झगड़ा होगा, पर रहेंगे साथ ही… सनातन अर्थात वैदिक परंपरा से प्रभावित होकर आध्यात्मिक परंपरा से प्रभावित होकर आखिरकार इस जीवन का आखिरी सत्य क्या है, उसकी खोज में ये यहां आते हैं। इनका मानना होता है कि अगर हम भारत में गुरु जी के सानिध्य में शादी करेंगे तो हमारी शादी लंबे समय तक टिकायु होगी इसी भाव से शादी कर रहे हैं।
ग्रुप लीडर मरिया ने क्या कहा?
ग्रुप लीडर मरिया का कहना है कि यहां हमारा कैंप लगा है। आज छठा दिन है। रूस के दो जोड़ों की शादी हुई है। ये लोग चाहते हैं कि वे सात जन्म तक साथ रहें और महाराज श्री ने कहा कि भारतीय ट्रेडीशन को कुछ लोग अपना रहे हैं और हम भी चाहते हैं कि शादी परमानेंट रहे। ये लोग इस आश्रम में ज्ञान पाने के लिए आए हैं।
मरिया ने बताया कि हमने महाराजश्री के प्रवचन सुने थे, जिससे प्रेरित होकर पिछले साल भी यहां चार जोड़ों की शादी हुई। वैसे रूस में भी हम शादी करवाते हैं। कुछ शहरों में भारत से पंडित लोग आकर के हिंदू रीति रिवाज से शादी कराते हैं। जिन जोड़ों की शादी हुई है, वे यहां पर पहले शादी कर चुके हैं। एक जोड़ी के बच्चे भी हैं। ये लोग चाहते हैं कि उनकी मैरिड लाइफ जन्म-जन्म तक हो। इसीलिए उन्होंने यहां शादी की है।