हरिद्वार की हर की पैड़ी को विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के रूप में तो जाना ही जाता है, लेकिन ये क्षेत्र भिखारियों का भी गढ़ है। क्योंकि साल भर यहां लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं और पुण्य कमाने के लिए भोजन, कपड़े और पैसे दान करते हैं। इसी दान दक्षिणा के लालच में हरिद्वार में भिखारियों की संख्या बेतहाशा बढ़ गई है। भोजन और दूसरे सामान बांटे जाने के दौरान श्रद्धालुओं के साथ धक्का-मुक्की और छीना झपटी की घटनाएं भी अक्सर सामने आती रहती हैं।
तीज-त्योहारों पर जैसे हरिद्वार में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती है, वैसे ही हर की पौड़ी पर भिखारियों की संख्या भी बढ़ जाती है। ये लोग श्रद्धालुओं को परेशान करते हैं। भिखारियों के गुटों में मारपीट और छीना-झपटी भी आम है। प्रशासन बैठक पर बैठक करता है लेकिन भीख मांगने वालों की ना तो संख्या कम हो रही है। ना एक्शन हो रहा है। जबकि उत्तराखंड में भीख मांगने पर रोक है और इसके लिए बाकायदा कानून तक लाया गया है।
श्री गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम ने बताया कि पुलिस और प्रशासन हर की पैड़ी से भीख मांगने वाले लोगों को हटाए जाने के लिए समय-समय पर कार्रवाई करते हैं, लेकिन इन्हें रखने के लिए पर्याप्त व्यवस्था ना होने के कारण करवाई बेअसर साबित होती है। दरअसल हरिद्वार के रोशनाबाद में बने भिक्षुक गृह की क्षमता महज सौ भिखारियों को रखने की है जबकि मौजूदा समय में भिखारी की तादाद हजारों में है। लिहाजा हर की पैड़ी को भिखारी मुक्त बनाने के लिए प्रशासन की कार्रवाई नाकाफ़ी साबित हो रही है।
तो वहीं हरिद्वार के डीएम धीराज सिंह ने कहा कि हाल ही में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से धर्म नगरियों में जमा रहने वाले भिखारियों के पुनर्वास के लिए नगर निकायों के साथ मिलकर कवायद शुरू की है। साथ ही हर की पैड़ी कॉरिडोर का काम भी आगे बढ़ रहा है। मतलब सरकार समस्याओं से हर की पैड़ी क्षेत्र को मुक्त करने की कवायद कर रही है। अब देखने वाली बात होगी कि हर की पैड़ी क्षेत्र कब तक भिखारी मुक्त हो पाता है।