कतर की जेल से रिहा होकर रिटायर्ड कैप्टन सौरभ देहरादून अपने घर पर पहुंच गए हैं। उनके सकुशल वापस आने पर परिजनों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। गाड़ी से उतरकर जैसे ही कैप्टन सौरभ घर पहुंचे मां ने उनके माथे पर तिलक लगाया और आरती उतारी और पिता ने कैप्टन सौरभ को गले लगा लिया।
इस दौरान कैप्टन सौरभ के स्वागत के लिए बड़ी संख्या में लोग उनके पहुंचे हुए थे। लोगों ने सौरभ को गले में फूल माला पहनाकर उनका स्वागत किया साथ ही आसपास के लोगों ने भारत माता की जय के नारे भी लगाए।
क्या था मामला?
कतर में 8 पूर्व नौसैनिकों को जासूसी के आरोपों में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था और 26 अक्टूबर, 2023 को कतर की एक अदालत ने सभी को मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद भारत सरकार ने इसे लेकर क़ानूनी लड़ाई लड़ी और उनकी रिहाई के लिए लगातार प्रयास किए थे। जिसके बाद भारत की कोशिशें रंग लाई और कतर ने इन्हें रिहा कर दिया।
क्या कहा सौरभ के परिजनों ने?
52 साल के सौरभ को फांसी की सजा मिलने के बाद से ही उनके माता-पिता पिछले 18 महीने से रिहाई का जंग लड़ रहे थे। लेकिन अब कैप्टन सौरभ सकुशल अपने घर पहुंच गए है। जिसको लेकर सौरभ के पिता ने बताया की इस पल पल से बढ़कर दुनिया में कोई खुशी नहीं है।
सौरभ के पिता आर. के. वशिष्ठ ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि बेटा इस उम्र में उनका स्तंभ है। जिसके लिए वो तरस रहे थे और बेटा जेल में उनके लिए परेशान हो रहा था। जब सौरभ कतर की दोहा जेल में बंद थे उस दौरान हफ्ते में तीन दिन फोन पर बातचीत होती थी और हफ्ते में एक दिन मिलने का समय दिया जाता था।
कैप्टन सौरभ की वापसी पर घर में उत्सव जैसा माहौल है। इस अवसर पर कैप्टन सौरभ की मां ने केंद्र सरकार और पीएम मोदी का आभार जताया है। अगर पीएम मोदी नहीं होते तो मेरा बेटा करत से जिंदा वापस नहीं आता
सौरभ की मां राजी वशिष्ठ ने कहा कि पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बिना हमारा फिर से वापस लौटना संभव नहीं था. भारत सरकार ने लगातार हमारी रिहाई के लिए लगातार प्रयास किए थे. कतर से लौटे नौसेना के दिग्गजों में से एक का कहना है, हमने भारत वापस आने के लिए लगभग 18 महीने तक इंतजार किया। हम पीएम के बेहद आभारी हैं। यह उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप और कतर के साथ उनके समीकरण के बिना संभव नहीं होता। हम भारत सरकार द्वारा किए गए हर प्रयास के लिए तहे दिल से आभारी हैं और उन प्रयासों के बिना यह दिन संभव नहीं होता।