Uttarakhand Forest Research Institute Haldwani News: पहाड़ों पर लगातार वनाग्नि की घटनाओं को देखते हुए आग से हुए जंगलों में मिट्टी की उर्वरक शक्ति की नुकसान का अब उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र पहली बार जांच करने जा रहा है, जिससे कि पता चल सके कि आग लगने से पहाड़ की मिट्टी की उर्वरक शक्ति को कितना नुकसान पहुंच रहा है।
Uttarakhand Forest Research Institute में मिट्टियों पर होता है शोध
उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र के मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तराखंड में आठ प्रकार की मिट्टी पाई जाती है। वन अनुसंधान केंद्र में इन मिट्टियों पर शोध किया गया। मिट्टी की उर्वरकता, मिट्टी में मिलने वाले जीवाणु, रसायनिक व भौतिक गुण, अम्लीयता, घनत्व, पोषक तत्वों का प्रतिशत आदि पर शोध के बाद अनुसंधान केंद्र में ही मिट्टी संग्रहालय बनाया गया, ताकि मिट्टियों के सभी गुणों की जानकारी प्राप्त हो सके। संग्रहालय में तराई-भावर जोन, मध्य हिमालयी क्षेत्र व उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार की मिशन का परीक्षण किया गया है।
Uttarakhand Forest Research Institute से मिलेगी बड़ी मदद
अनुसंधान केंद्रमें आधुनिक तकनीक से तैयार इस मृदा परीक्षण लैब में इस बात का पता लगाया जा सकेगा कि किस जंगल की मिट्टी में पीएच वैल्यू और मॉलिक्यूल की उपलब्धता कितनी है और किस मिट्टी में किस तरह की पेड़ों की प्रजाति उगाई जा सकती है।
जंगलों की मिट्टियों पर होगा परीक्षण
बता दें कि पहली बार अनुसंधान केंद्र मृदा परीक्षण लैब में आग से प्रभावित वाले जंगलों की मिट्टी का परीक्षण करने जा रहा है। इससे पता चल सकेगा कि आग लगने से इन क्षेत्रों के मिट्टी को कितना नुकसान पहुंचा है और इस नुकसान में किस तरह के पेड़-पौधे लगाए जाएं, जिससे कि क्षतिपूर्ति को काम किया जा सके।
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मुख्य वन संरक्षण संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि मिट्टी की संरक्षण और उसकी उर्वरकता शक्ति को लेकर लोगों में बहुत कम जानकारी है, जिसको देखते हुए अनुसंधान केंद्र ने मृदा परीक्षण लैब को तैयार किया है। इससे लोगों को मिट्टी और उसकी उर्वरक शक्ति के बारे में जानकारी मिल सकेगी। उन्होंने बताया कि अनियंत्रित निर्माण और विकास कार्य के चलते मिट्टी की उर्वरक क्षमता में काफी गिरावट आई है, जिसको बचाने के लिए उत्तराखंड का पहला मिट्टी संग्रहालय बनाया गया है।
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