रुड़की के पश्चिमी अंबर तालाब निवासी गुल मोहसिन पहले टेलर का काम करते थे। कपड़े सिलकर अपने परिवार और बच्चों का पालन पोषण करते थे। साल 2009 में उन्हें हार्ट अटैक भी आ चुका है। 2020 में आई कोरोना महामारी के बाद मोहसिन की जिंदगी में मानों मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। इसी कोविड काल के दौरान मोहसिन के दोनों फेफड़ें जवाब दे गए। ऐसी हालात में पैर से सिलाई मशीन चलाना तो दूर उनका पैदल चलना भी मुश्किल हो गया। डॉक्टरों ने बताया कि अब जिंदा रहने के लिए जिंदगी की अखिरी सांस तक ऑक्सीजन सिलेंडर साथ ही रखना होगा, क्योंकि फेफड़े 60% खराब हो चुके हैं। ऐसी परिस्थियों में भी मोहसिन ने हार नहीं मानी और निकल पड़े जिंदगी की चुनौतियों का समाना करने।