Pratap Pokhriyal: मानव जब जोर लगाता है… पत्थर पानी बन जाता है, रामधारी सिंह दिनकर के महाकाव्य रश्मिरथी में लिखी ये बात उन महान लोगों पर सटीक बैठती है, जिनमें कुछ कर गुज़रने का जुनून होता है। जिनके इरादे पहाड़ जैसी बाधाओं को पार करने का दम रखते हों। आपने दशरथ मांझी की कहानी जो सुनी ही होगी, कैसे एक आम इंसान ने अकेले अपने दम पर पहाड़ को काटकर गांव के लिए रास्ता बना दिया था, तो चलिए आज हम आपको देवभूमि के दशरथ मांझी से मिलाते हैं। जिन्होंने पहाड़ काटकर रास्ता को नहीं बनाया लेकिन वीरान पहाड़ों पर पेड़ लगाकर जंगल जरूर तैयार कर दिया है। ये कहानी है उत्तरकाशी के प्रताप पोखरियाल की, 70 साल के हो चुके प्रताप अबतक 31 लाख से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं। अपनी इस मुहिम के जरिये वो पर्यावरण संरक्षण का अद्भुत काम कर रहे हैं। प्रताप पोखरियाल के इस काम ही हर कोई सराहना भी कर रहा है…