Joshimath के मकानों में पड़ी दरारों को अभी तक भरा नहीं गया है… ड्रेनेज सिस्टम का भी बुरा हाल है… ऐसे में बारिश का पानी पहाड़ में सामने का खतरा बना हुआ है… इसके अलावा 14 ऐसे पॉकेट हैं… जहां खड़े 1200 से ज्यादा जर्जर मकान पहाड़ पर खतरे की घंटी बजा रहे हैं… मॉनसून से पहले जहां पूरे पहाड़ की मरम्मत हो जानी चाहिए थी… वहीं प्रशासन की तरफ से अभी तक इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है… जिससे लोग डरे हुए हैं और अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता में हैं…