Water Level In Uttarakhand : उधमसिंह नगर में बेमौसमी धान की खेती ने जल संकट पैदा कर दिया है। इस खेती में बढ़ती अंधाधुंध पानी के प्रयोग के कारण पानी का स्तर लगातार गिर रहा है। प्रशासन भी इस समस्या को लेकर चिंतित है। इस कारण डीएम ने अगले वर्ष से बेमौसमी धान की खेती पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है। बेमौसमी धान की खेती में किसानों का दवाइयों पर कम खर्च आता है और उत्पादन अधिक होता है। इसलिए लागत कम ओर मुनाफा ज्यादा होने के कारण उधमसिंह नगर के 80 प्रतिशत किसान यह खेती कर रहे है, लेकिन दूसरी तरफ इस खेती के कारण जलस्तर भी तेजी से गिर रहा है।
बेमौसमी धान की रोपाई मार्च से शुरू हो जाती है और फसल जुलाई तक पककर तैयार हो जाती है। इन तीन चार महीनों में बारिश बहुत कम होती है। किसान सिंचाई के लिए पंपिंग सेट, ट्यूबवेल आदि का प्रयोग करते है। इस कारण पानी का काफी दोहन होता है। धान के फसल चक्र में एक हेक्टेयर में 120 सेंटीमीटर पानी प्रति घंटे की जरूरत होती है। वहीं, बेमौसमी धान में 86 हजार लीटर पानी की प्रति घंटा आवश्यकता होती है।
धान की बढ़ती खेती के कारण लगातार जलस्तर गिरता जा रहा है। जहां उधमसिंह नगर में पहले 50 फीट पर पानी मिल जाता था, अब पानी का जलस्तर 120 फीट पर पहुंच गया है। इस कारण जल संकट की स्थिति पैदा होती जा रही है। जिला प्रशासन भी इसको लेकर चिंतित है। डीएम उदयराज सिंह ने अगले वर्ष से उधम सिंह नगर में बेमौसमी धान की फसल पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है।