Uttarakhand NIT Construction Controversy : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) उत्तराखंड के स्थायी परिसर का निर्माण कार्य बीते कई दिनों से सुमाडी गांव के ग्रामीणों ने रोक रखा है। ग्रामीणों के भारी विरोध के कारण एक सप्ताह से निर्माण कार्य ठप पड़ा है। सुमाडी गांव के पास एनआईटी स्थायी परिसर का शिलान्यास कांग्रेस और भाजपा शासनकाल में अगल-अलग दो बार हो चुका है, लेकिन जब एनआईटी का स्थायी परिसर का निर्माण कार्य यहां से कुछ दूर चमराड़ा गांव में शुरू हुआ तो सुमाड़ी गांव के ग्रामीण निर्माण कार्य के विरोध ने उतर आए। इस कारण बीते एक सप्ताह से निर्माण कार्य को रोका गया है।
ग्रामीणों की मांग है कि जिस स्थान पर एनआईटी का शिलान्यास किया गया, निर्माण कार्य की नींव वहीं पड़नी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ग्रामीणों ने कहा कि सुमाडी गांव के ग्रामीण 84 हेक्टेयर भूमि एनआईटी को दान में दे चुके हैं और एनआईटी के नाम भूमि की रजिस्ट्री भी हो चुकी है। भूमि चिह्नित होने के बाद यहां 772 पेड़ एनआईटी निर्माण के लिए काटे गए, लेकिन अब एनआईटी का निर्माण अन्य जगह पर शुरू किया गया है।
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ग्रामीणों का आरोप है कि एनआईटी प्रशासन अब दावा कर रहा है कि एनआईटी का निर्माण अनउपयुक्त भूमि पर नहीं होगा। ग्रामीणों का कहना है कि एनआईटी का निर्माण अगर उनकी भूमि पर नहीं किया जाना है तो उनकी भूमि को चिह्नित करने के बाद यहां 772 पेड़ क्यों काटे गए? सुमाडी ग्रामीणों की मांग है कि एनआईटी का प्रवेश द्वार उनकी भूमि पर ही बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक एनआईटी का कार्य उनकी भूमि पर शुरू नहीं किया जाता है, तब तक वह एनआईटी निर्माण कार्य शुरू नहीं होने देंगे। वहीं, पूरे मामले पर गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे ने कहा कि ग्रामीणों के हक-हकूक का ख्याल रखकर ही एनआईटी का निर्माण होगा। एनआईटी विवाद को जल्द सुलझा लिया जाएगा।
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