उत्तराखंड की महिलाएं अब देश और दुनिया के लिए मिसाल बनने जा रही है, क्योंकि ऊखीमठ के प्रसिद्ध और दिव्य ओंकारेश्वर मंदिर में अब पुरुष पुरोहित नहीं बल्कि महिला पुरोहित शादी ब्याह जैसे मांगलिक आयोजन करवाएंगी।
शीतकाल में ओंकारेश्वर मंदिर में विराजते हैं बाबा केदारनाथ। ये मंदिर बाबा केदार का शीतकालीन गद्दीस्थल है। बाबा केदार को साक्षी मानकर यहां जोड़े शादी के पवित्र बंधन में भी बंधते हैं। लेकिन जल्द ही यहां कुछ ऐसा होने वाला है, जिससे देवभूमि की नारीशक्ति को और बल मिलेगा और देवभूमि की नारियां देश और दुनिया के लिए मिसाल बन जाएंगी।
उत्तराखंड की महिलाओं को एक विशेष प्रशिक्षण का हिस्सा बनाया गया है। अब जानिए क्या है ये प्रशिक्षण और कितना खास है। धार्मिक स्थलों को नया मुकाम देने की धामी सरकार की मुहिम के तहत बाबा केदार के शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर को वैदिक विवाह स्थल बनाने की तैयारी हो रही है। इसी के लिए क्षेत्र की महिलाओं को वैदिक विवाह सम्पन्न कराने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
आसान भाषा में कहें तो ऊखीमठ के इस प्रसिद्ध और दिव्य ओंकारेश्वर मंदिर में अब पुरुष पुरोहित नहीं बल्कि महिला पुरोहित शादी ब्याह जैसे मांगलिक आयोजन करवाएंगी। रस्मों रिवाज तब कैसे निभाने हैं। क्या क्या करना है। उसी सबके लिए अभी से महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है और ये उसी ट्रेनिंग की तस्वीरें आपके सामने हैं।
अब तक आपने शायद ही कहीं और कभी महिलाओं को शादी ब्याह जैसा मांगलिक कार्य करवाते देखा होगा। लेकिन ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर के बहुत जल्द वैदिक विवाह स्थल बन जाने के बाद ऐसा होते आप देखेंगे। यहां महिलाएं ही पुरोहित बनकर शादी ब्याह वैदिक रीति रिवाजों से करवाएंगी।
वैदिक विवाह करवाने के दौरान महिलाएं इसी तरह मंगल गीत गाएंगी। मंगल स्नान करवाएंगी। विवाह के दौरान मेहमानों के लिए पहाड़ के पारंपरिक भोजन तैयार करने और परोसने के लिए भी ट्रेनिंग दी जा रही है।
यही नहीं वैदिक विवाह के अलावा बाबा केदार के इस शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में देश-विदेश से आने वाले यात्रियों के लिये योग के शिविर भी लगाए जाएंगे। यानी ये मंदिर वैदिक विवाह स्थल के रूप में तो डेवलप होने जा ही रहा है। योग केंद्र भी बनने वाला है।
केदारनाथ का शीतकालीन गददीस्थल होने के अलावा ओंकारेश्वर मंदिर राक्षसों के राजा बाणासुर की पुत्री उषा और भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरूद्ध का विवाह स्थल भी है। कहते हैं कि उषा और अनिरूद्ध ने मंदिर के निकट ही सात फेरे लिये थे। मंदिर के निकट ही बेदी बनी हुई है। प्रत्येक वर्ष यहां हजारों की संख्या में देश-विदेश से यात्री पहुंचते हैं। धामी सरकार की उत्थान योजनाओं के तहत अब मंदिर को वैदिक विवाह स्थल बनाने की दिशा में प्रयास हो रहे हैं। जिसमें महिलाओं की भूमिका बहुत अहम रहने वाली है। साथ ही मंदिर को योग केन्द्र के रूप में भी विकसित करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर के रूप में जिले का ये दूसरा वैदिक विवाह स्थल होगा। जिले में अभी केवल भगवान शिव-पार्वती के विवाह स्थल त्रियुगीनारायण में ही वैदिक विवाह संपन्न होते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवभूमि आकर ‘वेडिंग इन उत्तराखंड’ की अपील देशवासियों से की थी। उसी मुहिम का असर अब दिखने लगा है। पिछले साल दिसंबर में देहरादून में उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने का सुझाव दिया था. जिसके बाद धामी सरकार ने इसे मुहिम बना दिया। इसके बाद श्री बद्रीनाथ केदारनाथ टेंपल कमेटी अपने अधीन आने वाले मंदिरों में मुहिम को तेज कर दिया है।