ऋषिकेश में अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आज अंतिम दिन रहा। ड्रमवादक शिवमणि के ड्रम की थाप औऱ सूफी गायिका रूना रिज़वी शिवमणि की आवाज़ पर वैश्विक योगी परिवार जमकर थिरका। फूलों की ताजगी और रंगों की मस्ती का योगियों ने खूब आनंद लिया।
अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में 75 देशों से आए 1400 योग जिज्ञासुओं, 25 देशों से आए 65 योगाचार्यों को पतंजलि योगपीठ, आयुर्वेद के आचार्य, आचार्य बालकृष्ण और आध्यात्मिक गुरु प्रेमबाबा जी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। स्वामी चिदानन्द सरस्वती, साध्वी भगवती सरस्वती, आचार्य बालकृष्ण और प्रेमबाबा जी के साथ वैश्विक योगी परिवार ने लोकपर्व फूलदेई पर जमकर फूलों की होली खेली। इसके बाद सभी ने गंगा स्नान किया।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के अंतिम दिन सभी ने मिलकर उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति फूलदेई का उत्सव मनाया। सभी योग जिज्ञासु ने बड़े उत्साह और खुशी के साथ भारतीय संस्कृति के रंगों में रंग कर, नृत्य कर, गीत गाकर इस पवित्र त्योहार को मनाया। आध्यात्मिक गुरुओं, योगाचार्यों और योग जिज्ञासुओं ने मां गंगा में डुबकी लगाई और सभी ने मिलकर विश्व शांति की प्रार्थना की।
विश्व प्रसिद्ध तालवादक, ड्रमवादक शिवमणि और सूफी गायिका रूना रिजवी शिवमणि ने होली के गीत गाए। 75 से अधिक देशों से आए योग जिज्ञासुओं ने परम आनंद में नृत्य किया। परमार्थ निकेतन का पूरा प्रांगण ढोल की थापों से गुंजायमान हो गया। स्वामी जी ने सभी प्रतिभागियों के माथे पर शुद्ध चंदन का तिलक लगाया और प्रेम व शांति के फूलों की वर्षा कर पर्यावरण-अनुकूल, हरित संदेश प्रसारित करने का संदेश दिया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज वैश्विक योगी परिवार को होली पर्व के माध्यम से विश्व बंधुत्व का संदेश देते हुए कहा कि भारत समग्रता, एकता और एकजुटता में विश्वास करता है। भारत की आत्मा हमेशा से महान ऋषियों द्वारा दिए गए दिव्य मंत्र ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ में विश्वास करती है। आज पूरे विश्व को इसी दिव्य मंत्र ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ को आत्मासात करने की जरूरत है।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ रखने के लिए योग के साथ आयुर्वेद युक्त जीवन शैली अपनाना अत्यंत आवश्यक है। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि भारत का प्रत्येक पर्व एक संदेश देता है। चाहे वह प्रकृति के संरक्षण का हो, परिवार के संरक्षण का हो या संस्कारों के संरक्षण का हो। आज हम उत्तराखंड की समृद्ध परम्परा का प्रतीक फूलदेई पर्व के साथ होली का दिव्य पर्व मना रहे हैं। प्रेमबाबा जी ने कहा कि मानव का एक ही धर्म है ‘आपस में प्रेम करना’। आपने सात दिनों तक परमार्थ निकेतन में जिस प्रेम का अनुभव किया उसे अपने साथ प्रसाद स्वरूप लेकर जाएं, यही महोत्सव की पूर्णाहुति है।