धर्म संसद के आयोजकों में शामिल रहे स्वामी यति नरसिंहानंद ने एक और धर्म संसद का ऐलान किया है। हरिद्वार के सर्वानंद घाट पर मीडिया से बात करते हुए यति नरसिंहानंद ने कहा कि दिसंबर में गाजियाबाद स्थित डासना पीठ पर धर्म संसद आयोजित की जाएगी। सहारनपुर स्थित दारुल उलूम द्वारा गजवा-ए-हिंद को लेकर फतवा जारी किए जाने से नाराज यति नरसिंहानंद ने चारों पीठों के शंकराचार्य को पत्र लिखकर धर्म संसद में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।
नरसिंहानंद ने कहा कि इसके बाद सभी 13 अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वरों से भी आग्रह किया जाएगा। बता दें कि स्वामी यति नरसिंहानंद साल 2021 में हरिद्वार में धर्म संसद का आयोजन करवा चुके हैं। इस आयोजन के दौरान उन पर हेट स्पीच को लेकर मुकदमा दर्ज हुआ था और जेल भी जाना पड़ा था।
उन्होंने आज सर्वानंद घाट से चारों पीठों के शंकराचार्यों को पत्र लिखा। उनसे शिवशक्ति धाम डासना में 17, 18, 19, 20 और 21 दिसंबर 2024 को आयोजित होने वाली विश्व धर्म संसद का संरक्षण व मार्गदर्शन के करने की प्रार्थना की। साथ ही उनसे इस महान कार्य में यथोचित सहयोग करने का भी निवेदन किया। सर्वानंद घाट पर उन्होंने सर्वप्रथम मां गंगा और महादेव की पूजा-अर्चना की। इसके बाद चारों पीठों के शंकराचार्यों को पत्र में लिखा कि आप सनातन धर्म के सबसे मजबूत स्तम्भ हैं और सबसे पवित्र परम्परा के वाहक भी।
उन्होंने लिखा कि आज सनातन धर्म सम्पूर्ण विनाश के कगार पर है। इसीलिए हम इस वैचारिक संघर्ष को वैश्विक रूप देने के लिए शिवशक्ति धाम डासना जिला गाज़ियाबाद में 17, 18, 19, 20 और 21 दिसम्बर को धर्म संसद का आयोजन कर रहे हैं। इस आयोजन में सम्पूर्ण विश्व के गैर इस्लामिक धर्मगुरुओं क़ो निमंत्रित किया जाएगा और इस वैश्विक संकट पर गंभीर चर्चा की जाएगी। अगर यह सम्मेलन सफल होता है तो मानवता के साथ ही सनातन धर्म के बचने की राह प्रशस्त हो सकती है।
उन्होंने बताया कि पत्र गोवर्धन पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज, श्रृंगेरी शारदा पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य श्रीश्रीश्री भारती तीर्थ जी महास्वामी, ज्योतिर्मठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज और द्वारका शारदा पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज को पत्र भेजे गए हैं। इसके बाद यह पत्र सभी अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर, अध्यक्ष, सचिव और महामंडलेश्वरों सहित सभी सनातनी धर्मगुरुओं को भेजे जाएंगे।
वहीं, 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि वह चुनाव के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं. उन्हें यह भी मालूम नहीं है कि भारत का प्रधानमंत्री कौन है और वह इस बार वोट डालने नहीं जाएंगे। स्वामी यति नरसिंहानंद का कहना है कि मुझे नहीं लगता कि किसी सरकार में इतनी हिम्मत है कि वह मेरी रक्षा कर सके। अगर मुझे कोई सरकार ऐसी दिखेगी, जो मेरी रक्षा कर सकती है, तभी वोट डालूंगा।