Swami Samarpana Nand Baba: उत्तराखंड पौराणिक काल से ही देवी-देवताओं का निवास स्थान रहा है, इसलिए इस पावन धरा को देवभूमि भी कहा जाता है। इसके अलावा, देवभूमि में कई महान ऋषि-मुनियों की तपस्थली भी है, जिन्होंने अपने तप के बल से विश्व कल्याण की कामना की है। आज हम आपको एक ऐसे ही संत के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पिछले 22 वर्षों से कठिन साधना कर शिव आराधना में लीन है।
पंचाग्नि साधना कर रहे स्वामी समर्पणा नंद बाबा
हम बात कर रहे हैं ऋषि मुनियों की तपोस्थली ऋषिकेश की… ऋषिकेश के तपोवन में स्थित समर्पण आश्रम में स्वामी समर्पणा नंद बाबा पिछले 22 वर्षों से विश्व कल्याण के लिए पंचाग्नि साधना कर रहे हैं। वह हर वर्ष जनवरी से मई माह तक सुबह 10 बजे से दोपहर के 2 बजे तक चार अग्निकुंड के बीच और सूर्य की तेज तपिश के नीचे बैठकर भगवान शिव की कठोर आराधना में विलीन हैं।
मौन धारण किए हुए हैं स्वामी समर्पणा नंद बाबा
स्वामी समर्पणा नंद इस अवधि काल में पूरी तरह से मौन धारण किए हुए रहते हैं। इस साधना काल के दौरान वह केवल एक समय का भोजन ग्रहण करते है। बता दें कि यही पंचाग्नि साधना मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए की थी, जिसके बाद भगवान शिव ने प्रसन्न होकर मां पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था। तभी से इस पंचाग्नि साधना का महत्व पुराणों में भी वर्णित है।
देश-विदेश से दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं ऋषिकेश
माना जाता है कि जो भी पंचाग्नि साधना को पूर्ण करता है, उसे स्वयं भगवान शिव मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। इसी लक्ष्य को लेकर स्वामी समर्पणा नंद कठोर तपस्या में विलीन है, जिससे देशभर में शांति और विश्व का कल्याण हो सके। साथ ही, देश विदेश से श्रद्धालु इस स्थान पर पहुंचकर स्वामी समर्पणा नंद के दर्शन कर आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं।