गंगा के पवित्र किनारों पर ठुमकों का प्रदर्शन। छोटे छोटे कपड़ों में आपत्तिजनक एक्शन। ये नए जमाने का रील्स वाला नशा है। जो आजकल ज्यादातर युवा पीढ़ी के सिर पर सवार है। रील्स बनाना कोई बुरी बात नहीं है। लेकिन रील्स कहां और कब बनानी चाहिए, इसकी मर्यादा होनी जरूरी है। लेकिन धर्म और अध्यात्म की नगरी ऋषिकेश से आई इन तस्वीरों को देखकर लगता नहीं है कि यहां किसी भी तरह की मर्यादा का पालन हो रहा है। देखिए लगभग आधे कपड़ो में ये युवती रील्स बनवाने में मस्त है। उसके साथी भी हैं, जो रील्स बनाने में उसकी मदद कर रहे हैं।
इन तस्वीरों को देखकर आप कह सकते हैं कि धर्म कर्म और अध्यात्म की नगरी में आधुनिकता की अश्लील नुमाइश हो रही है। ऐसी तस्वीरों और हरकतों से सबसे ज्यादा आपत्ति गंगा किनारे साधना में लीन साधु संतों को है। वो लगातार मर्यादाएं तोड़ने वाले पर्यटकों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। प्रशासन और सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
ऋषिकेश में लोग पर्य़टन के अलावा सकारात्मक शक्तियों के अहसास के लिए भी आते हैं। खामोश वादियों में कई साधु संत साधना करते हैं। गंगा किनारे संतों का डेरा है। ऐसे में अगर इस तरह की रील रिवायत यहां होगी तो विरोध के सुर तो उठेंगे ही।
ऋषिकेश धाम धर्म, अध्यात्म और साधना का केंद्र माना जाता है। लेकिन पिछले कुछ महीनों में गंगा किनारे शांति स्थलों पर पर्यटकों की भीड़ बढ़ी है और कई ने हुड़दंग के साथ साथ गंगा तटों को दूषित भी किया है। पार्टी और डीजे का चलन भी बढ़ा है। ऐसी ही कई हरकतों को लेकर भागीरथी धाम के संत लगातार एतराज जता रहे हैं।
ऋषिकेश में गंगा के पवित्र किनारों पर ऐसी हरकतें ना हों इसके लिए प्रशासन की तरफ से निर्देश भी जारी किए जा चुकी है लेकिन प्रशासन की लाख पाबंदी के बावजूद धार्मिक गरिमा कायम नहीं रह पा रही है। लिहाजा अब सरकार को इस दिशा में गंभीरता से सोचने की जरूरत है।