ऋषिकेश का रामझूला जो धर्मनगरी ऋषिकेश में आकर्षण का केंद्र है। सालों पुराना ये पुल ऋषिकेश की खास और ऐतिहासिक पहचान है। रामनाम का ये झूला दो पहाड़ियों को आपस में जोड़ता है। यहां के लोगों औऱ बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को गंगा के दर्शन कराते हुए इस पार से उस पार पहुंचा देता है।
सालों से गंगा नदी पर बना ये रामझूला जर्जर होता जा रहा है। हाल ऐसा कि हादसों को भी दावत दे रहा है। ऋषिकेश के रामझूला की एक एक तस्वीर बता रही है कि इसे बड़े लेवल पर रिपेयर की जरूरत है। क्योंकि रामझूला की ग्राउंड प्लेट जंग खाकर जर्जर हो चुकी है। जो कभी भी किसी बड़ी अनहोनी में तब्दील हो सकती है।
रामझूला से होकर गुजरने वाले दुपहिया वाहनों पर फिलहाल पाबंदी लगा दी गई है।ऋषिकेश के रामझूला से फिलहाल पैदल ही गुजरने की इजाजत है। इस पुल से दोपहिया वाहन अब तक नहीं गुजरेंगे जब तक कि इसकी ठीक से मरम्मत नहीं जाती। लेकिन मरम्मत कब होगी, ये प्रशासन नहीं बता पा रहा है और इसलिए रामझूला संभावित खतरों के बीच झूल रहा है।
ऋषिकेश के स्थानीय लोगों से लेकर व्यापारी वर्ग तक जर्जर हो चुके रामझूला के मरम्मत की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार और पीडब्ल्यूडी के बीच ऐसा पेंच फंसा है कि रामझूला की मरम्मत की तारीख ही तय नहीं हो पा रही है।
रामझूला के जर्जर हालात को लेकर पीडब्ल्यूडी विभाग की तरफ से 2020-21 में सरकार को सूचित किया गया। पुल के उपर से आवाजाही पर पूरी तरह रोक या फिर सीमित संख्या की सिफारिश की गई पीडब्ल्यूडी विभाग ने पुल की मरम्मत और रि-स्ट्रक्चर के लिए प्रस्ताव और बजट भी सरकार को भेज दिया, लेकिन प्रस्ताव खारिज हो गया। पीडब्ल्यूडी विभाग के बनाए स्ट्रक्चर और मरम्मत के तरीकों से सरकार सहमत नहीं थी। इसलिए नरेंद्र नगर डिविजन को दोबारा से कंसलटेंट हायर रिडिजाइन की रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए गए। रिपोर्ट अब नए सिरे से बन रही है। रिपोर्ट बनेगी तो फिर सरकार के पास जाएगी और तब उसे मंजूरी मिलेगी।
मतलब जर्जर रामझूला को खतरों से बाहर निकालने में अभी और वक्त लग जाएगा। वक्त गुजर रहा है और इसलिए खतरे के साथ चिंता भी बढ़ रही है। क्योंकि ऋषिकेश उत्तराखंड की बड़ी धर्मनगरी है। लाखों लोग यहां आते हैं जिनकी सहूलियत का सबसे बड़ा साधन यही रामझूला है।