हाथ में बैनर-पोस्टर, मन में इंकलाब, एक सुर में बुलंद की आवाज़। ये आक्रोश है पौड़ी की उस जनता का जो खुद को ठगा महसूस कर रही है। विरोध के इस स्वर की गूंज पौड़ी की सड़कों पर हर ओर सुनाई दी। जन आक्रोश सैलाब बनकर सड़कों पर उतरा और हुकमरानों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पौड़ी के लोगों ने क्रांति का एक नया बिगुल फूंक दिया है।
जन सैलाब की ये तस्वीरें पौड़ी जिले की हैं। जहां शहर वासियों ने अपनी मूल समस्याओं को लेकर शासन-प्रशासन के खिलाफ विरोध का बिगुल फूंक दिया। लोगों का ये आक्रोश जन आक्रोश रैली के रूप में सामने आया। हजारों की संख्या में लोग जन आक्रोश रैली में शामिल हुए। इन लोगों ने सरकार से मूलभूत सुविधाएं देनी की मांग की, जिनसे से वे अबतक विंचित हैं।
पौड़ी वासियों की मांगे
पौड़ी के लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। ये वो लोग हैं जो सरकार की उपेक्षा का शिकार हैं। उत्तराखंड को राज्य बने दो दशक बीत चुके हैं। लेकिन अभी तक पौड़ी के लोग विकास की बाट जोह रहे हैं। लोगों का कहना है कि पौड़ी में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। यहां ना पीना के पानी है, ना अच्छी सड़कें। ना इलाज की व्यवस्था है, ना ही बेहतर शिक्षा की। ये वो तमाम मूलभूत सुविधाएं हैं जिनकी पौड़ी वासी लंबे समय से मांग कर रहे हैं। लेकिन अभी तक इनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया है। जिस बजह से पौड़ी के लोग सरकार पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगा रहे हैं।
वैसे तो पौड़ी के लोग पहले भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करते रहे हैं, लेकिन इस बार इन्होंने नई क्रांति का बिगुल फूंक दिया है। क्योंकि इस बार हर उम्र और हर वर्ग के लोग अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शनकारियों ने साफ कर दिया है कि जबतक उनकी मांगें पूरी नहीं होती तो ये आंदोलन यूं ही चलता रहेगा और अगर जल्द ही सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो वो आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे।
धामी सरकार के प्रयासों से उत्तराखंड विकास की नई इबारत लिख रहा है। प्रदेश के कोने-कोने में विकास पहुंच रहा है। पर्यटन से लेकर तीर्थ तक, उद्योगों से लेकर कृषि तक हर क्षेत्र में उत्तराखंड तेजी से आगे बढ़ रहा है। लेकिन अभी भी देवभूमि में कई ऐसी जगह हैं जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। पौड़ी के लोग भी ऐसी ही बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। इस बार एकजुट होकर लोगों ने अपने हक में आवाज़ बुलंद की है। देखना होगा कि ये आवाज़ शासन-प्रशासन के कानों तक पहुंचती है या नहीं।