Gangster Mukhtar Ansari Admitted In Hospital: गैगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की जेल में अचानक तबीयत बिगड़ जाने के कारण उत्तर प्रदेश के बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, माफिया मुख्तार का इलाज मेडिकल कॉलेज के ICU में चल रहा है। सुरक्षा के मद्देनजर अस्पताल के बाहर भारी सुरक्षा तैनात की गई है।
एक जेलर और दो डिप्टी जेलर सस्पेंड
हालांकि मुख्तार की तबीयत को लेकर जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और जेल प्रशासन की ओर से अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है। दो दिन पहले ही मुख्तार अंसारी की सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही को लेकर एक जेलर और दो डिप्टी जेलर को सस्पेंड किया गया था।
यूरिनरी इन्फेक्शन से पीड़ित है मुख्तार
बता दें, उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा मुख्तार अंसारी पिछले तीन दिनों से यूरिनरी इन्फेक्शन से पीड़ित है। सूत्रों के मुताबिक, रात 1 बजे मुख्तार अंसारी को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। डॉक्टर्स ने शुरुआती जांच के बाद सर्जरी रिकमेंड की थी, जिसके बाद मुख्तार को सर्जिकल इंटरवेंशन के लिए आईसीयू में शिफ्ट किया गया है।
मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया कि उनके पिता को बांदा मेडिकल कॉलेज के आईसीयू वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। उमर ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, “मेरे पिता मुख्तार अंसारी साहब को एक घंटे पहले ही बांदा मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत बहुत गंभीर है। कृपया उनके लिए प्रार्थना करें।
मुख्तार अंसारी के खिलाफ कई मामले दर्ज
बता दें, मुख्तार अंसारी के खिलाफ यूपी, पंजाब, नई दिल्ली और बाकी राज्यों में लगभग 60 मामले पेंडिंग हैं। इससे पहले 13 मार्च को अंसारी को 1990 में हथियार लाइसेंस प्राप्त करने के लिए जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल से संबंधित एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। पिछले दो सालों में यूपी में यह आठवां मामला था, जिसमें पांच बार के पूर्व विधायक को अदालत ने दोषी ठहराया और सजा सुनाई।
वाराणसी की MP-MLA कोर्ट ने अंसारी को IPC की धारा 467 और 120-बी के तहत आजीवन कारावास और धारा 420 और 468 के तहत सात साल की सजा सुनाई। अंसारी को शस्त्र अधिनियम की धारा 30 के तहत भी छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई। अंसारी और अन्य के खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने तत्कालीन डीएम और एसपी के फर्जी हस्ताक्षर के साथ डबल बैरल बंदूक का लाइसेंस लेने की साजिश रची थी। जालसाजी सामने आने के बाद दिसंबर 1990 में तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर अंसारी, तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और चार अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। मामले में 1997 में अंसारी और गौरीशंकर श्रीवास्तव के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था।kk