यूं तो उत्तराखंड का हर हिस्सा कुदरत की खूबसूरती को अपने आगोश में समेटे हुए है। ऊंची ऊंची पर्वतामालाओं के साथ धर्म और संस्कृति के अनुसंधान की ये धरती, पवित्र नदियों का उद्गम और संगम, धार्मिक धरोहर, अस्थिर भौगोलिक आकार की इस धरती पर स्थिरता के कई बड़े उदाहरण मौजूद है।
ऊंची ऊंची पहाड़ियां, सुंदर वादियां, मानव जीवन के लिए प्रकृति का वरदान और यहां की वनस्पतियां, पहाड़ की आबो हवा में सबकुछ है। दुनिया की चहल-पहल और आपाधापी से दूर पहाड़ सकारात्मक उर्जा से भर देने वाली सकारात्मक शक्तियों का भंडार है।इसकी यही खासियत दुनिया भर के सैलानियों को अपनी खींच लाते हैं। पर्यटन के लिहाज से उत्तराखंड का हर हिस्सा अपने आप में बेहद खास है लेकिन कुछ इलाके ऐसे भी है, जहां बसती है प्रकृति, सबसे बड़ी संपदा, आंखों को चकित कर देने वाले नजारे, मन को सुकून और शांति से भर देने वाली वादियां और मानव काया को रोग से मुक्त आरोग्य का वरदान देने वाली औषधियां।
उत्तराखंड के टिहरी जिले का सीमान्त क्षेत्र भिलंगना घाटी। गढ़वाल क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखता घुत्तु पिंसवाड़ और भारत तिब्बत सीमा पर बसा गंगी गांव। टिहरी जिला मुख्यालय से करीब 120 किमी की दूरी पर बसा गंगी गांव कुदरत के खजानों से भरपूर है। करीब 150 परिवार की आबादी वाले इस गांव में रोम रोम को सुकुन और ऊर्जा से ओत प्रोत करने वाली ये वादियां अपने आप में अनोखा है ये गंगी गांव। कहा जाता है कि गंगी के निवासी कई पीढ़ियों से एलोपैथिक दवाओं का सहारा नहीं लेते। इसकी बड़ी वजह है यहां मिलने वाली दुनिया की सबसे दुर्लभ जड़ी बूटियां, जो संसार के किसी और कोने में नहीं मिलती। पर्यटन की दृष्टि से भी ये क्षेत्र अनोखा है, जहां की प्राकृतिक सुंदरता लोगों को अपना दीवाना बना लेती है। चारों ओर हरी भरी पर्वत श्रृंखलाओं के साथ ही गलेश्यिर और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर गंगी का इलाका मखमली बुग्याल अपने आप में प्रकृति का अनोखा खजाना छुपाए हुए है और यहां की प्राकृतिक सुन्दरता मन में एक नए रोमांच का अनुभव कराती है।
गंगी खूबसूरती में स्विटजरलैंड से कम नहीं है। भिलंगना घाटी में बसे गंगी गांव से भिलंगना नदी के उद्गम स्थल, खतलिंग ग्लेशियर , सहस्त्रताल के साथ ही पवांली कांठा की ट्रैकिंग होती है। गंगी से कुछ ही घंटों का सफर करके पैदल केदारनाथ पहुंचा जा सकता है।
गंगी में पर्यटन की अपार संभावनाएं है लेकिन हकीकत ये है कि पर्यटन की लिहाज से अब तक यहां विकास नहीं हो पाया है। उसकी वजह है यहां भौगोलिक परिस्थितियां। यहां अब तक ना तो बिजली पहुंच सकी है। ना ही होम स्टे की सुविधाएं हैं। गंगी के रहने वाले स्थानीय निवसियों की चाहत है कि यहां भी पर्यटन की राहें खुलें। यहां की सुंदर वादियां सैलानियों के सैलाब से गुलजार हों ताकि गंगी की दशा और दिशा बदल सके।
गंगा में पर्यटकों की बहार के लिए प्रशासन भी लगातार जरूरी कदम उठा रहा है। पर्यटन की दिशा में घुत्तु गंगी में भौगोलिक स्वरुप को तैयार करने के लिए प्रशासन पूरे प्रयास में जुटा है। उम्मीद जताई जा रही आने वाले दिनों में प्रकृति के इस गोद में सैलानियों का सैलाब उमड़ता दिखाई देगा।
धामी सरकार की तरफ से सीमांत गांवों की तस्वीर बदलने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में भारत तिब्बत सीमा पर बसे गांव गंगी में भी बहारें आने की उम्मीद है। कुदरत के खजानों से भरपूर इस गांव में पर्यटन की राहें खुल जाएं तो तस्वीर बदल सकती है और दुनिया भर के पर्यटकों के लिए ये सबसे सुंदर जगहों में एक तैयार हो सकता है।