Kharkhari Ghat Holi : हरिद्वार में पहली बार किन्नर अखाड़े ने खड़खड़ी श्मशान घाट पर मसाने की होली खेली। किन्नर समाज के लोगों ने श्मशान में चिताओं की राख से और रंग से होली खेली। किन्नरों को इस तरह से श्मशान में चिताओं के सामने चिता की राख के साथ ठोल नगाड़े के साथ होली खेलते हुए देखकर लोग आश्चर्य चकित रह गए। किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर भवानी के नेतृत्व में किन्नरों का दल खड़खड़ी श्मशान घाट पहुंचा, जहां उन्होंने सबसे पहले पूजा की फिर श्मशान में जल रही चिताओं की राख एक-दूसरे को लगाकर होली मनाई।
हरिद्वार में पहली बार इस तरह से किन्नरों को होली मनाते देख लोग अचंभित हो गए। हालांकि, बनारस और प्रयागराज के घाट पर मसाने की होली का आयोजन किया जाता रहा है। वहां पर पूरे पारम्परिक तरीके से मसाने की होली खेली जाती है। इसके पीछे भगवान शिव विवाह की कथा भी बताई जाती है। किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर मोनिका ने कहा कि आज मसाने की होली खेली गई। किन्नर समाज के लोगों ने जाकर खूब धूम-धड़ाके से होली मनाई। उन्होंने कहा कि हम लोग सनातन धर्म से है। इसलिए, अपना पर्व बहुत अच्छे से मनाते हैं। हमेशा से प्रयागराज और कई शहरों में यह पर्व मनाया। इस वर्ष से इसकी शुरुआत हरिद्वार में भी हो चुकी है। बड़ी धूमधाम से सारे किन्नर समाज के साथ यह होली मनाई गई।
उन्होंने बताया कि अब हर साल इस तरह से होली का त्योहार मनाया जाएगा। कहा कि हमारा किन्नर समाज जो श्मशान पूजता है, श्मशान घाट पर चिता के आगे ही होली मनाते हैं। उन्होंने कहा कि श्मशान घाट इंसान का आखिरी स्थल है। इंसान को एक न एक दिन चिता में जाना है। इसीलिए, चिता के सामने ही यह होली मनाई जाती है। इससे ज्यादा अच्छा कुछ नहीं हो सकता। यह असली घर है। कहा कि किन्नर समुदाय का जो अस्तित्व खत्म होता जा रहा था, अब जगा है। रामराज आया है। अब रामराज में किन्नर को मान-सम्मान मिला है। किन्नर को एक नया नाम मिला है, इससे ज्यादा नई कहानी और क्या हो सकती है।
Kharkhari Ghat