Gurudwara Shri Hemkunt Sahib: उत्तराखंड में स्थित गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब इस समय लगभग 12 से 15 फीट बर्फ से ढका हुआ है। यहां स्थित हेमकुंड झील भी बर्फ की सफेद चादर जैसी दिख रही है। अटलकुटी ग्लेशियर, जो हेमकुंट साहिब से लगभग दो किलोमीटर पहले है, वहां से बर्फ काटकर रास्ता बनाना पड़ता है। बर्फ हटाने की सेवा पारंपरिक रूप से भारतीय सेना द्वारा प्रदान की जाती है।
20 अप्रैल को घाघरिया के लिए रवाना होगी सेना
हेमकुंड गुरुद्वारा ट्रस्ट के मुताबिक, इस साल सेना के जवानों को 15 अप्रैल को घाघरिया के लिए रवाना होना था, जहां वे गुरुद्वारा परिसर में अपना बेस बनाते और हर दिन ऊपर जाकर बर्फ काटने का काम शुरू करते, लेकिन 19 अप्रैल को वोटिंग के कारण गुरुद्वारा ट्रस्ट के अनुरोध पर यह काम अब 20 अप्रैल से शुरू होगा। इस साल उत्तराखंड सरकार और श्री हेमकुंट साहिब ट्रस्ट ने तीर्थयात्रा के लिए श्री हेमकुंट साहिब के कपाट खोलने की तिथि 25 मई (15/04) घोषित कर दी है।
गुरु गोविंद सिंह ने लगाया था ध्यान
बता दें कि हेमकुंट साहिब चमोली जिले में 4,329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह प्रतिष्ठित सिख स्थलों में से एक है। इसे हेमकुंड साहिब के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने हेमकुंड झील के तट पर ध्यान लगाया था। पौराणिक मान्यता यह भी है कि युद्ध में घायल होने के बाद लक्ष्मण ने हेमकुंड झील के तट पर ध्यान लगाया था। इससे वे ठीक हो गए थे। यहां पर लक्ष्मण मंदिर भी है, जहां लक्ष्मण जी ने तपस्या की थी। हेमकुंट साहिब गुरुद्वारा सर्दियों के दौरान बर्फ से ढका रहता है।