उत्तराखंड की लोक कला, लोक संस्कृति और यहां की विरासत की पहचान पूरी दुनिया में है। लेकिन, कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जनपद के शहर फाटक निवासी दान सिंह फर्त्याल पिछले कई सालों से कठपुतली कार्यक्रम पेश करते आ रहे हैं। वह इसके माध्यम से उत्तराखंड की लोक संस्कृति और यहां की विरासत को एक नई पहचान दिलाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरह से राजस्थान की लोक संस्कृति कठपुतली के माध्यम से जगह-जगह देखने को मिलती है, वैसे ही उन्होंने कठपुतली के माध्यम से उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल की विरासत को सहेजने के लिए जागरूक करने का काम कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड ने अपनी वेशभूषा और लोक कलाओं की पहचान उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में बना रखी है। उत्तराखंड की लोक कलाओं के माध्यम से यहां के कलाकारों ने हर जगह अपनी अलग ही छाप छोड़ी है। लेकिन, उत्तराखंड को एक नई पहचान मिले, इसके लिए वह उत्तराखंडी कठपुतली तैयार करते आ रहे हैं। कठपुतलियां के माध्यम से उत्तराखंड का पारंपरिक पहनावा, कुमाऊं क्षेत्र की पारंपरिक वेशभूषा और यहां के वाद्य यंत्र के साथ तैयार कठपुतलियां सभी का मन मोह लेती हैं। फर्त्याल ने बताया कि पिछले 15 सालों से उत्तराखंड की संस्कृति और यहां की विरासत को बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। कहा कि कठपुतली और सांस्कृतिक मंच के माध्यम से अलग-अलग शहरों में जाकर प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों को जागरुक कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति और पहनावा हमेशा लोगों को याद रहे, इसके लिए वह पारंपरिक कठपुतली बना रहे हैं। इनके माध्यम से आज की पीढ़ी के बच्चे और युवा उत्तराखंड की संस्कृति को भली भांति पहचान सकेंगे। दान सिंह फर्त्याल ने बताया कि 15 साल पहले उन्होंने राजस्थान की पारंपरिक कठपुतलियां देखीं। इसके बाद उनके मन में इसका ख्याल आया कि क्यों ना कठपुतली के माध्यम से कुमाऊं की लोक कला और लोक संस्कृति को लोगों तक पहुंचाया जा सके।
उन्होंने अपने हाथों से कठपुतली तैयार कर उत्तराखंड की लोक कला, लोक संस्कृति और लोक विरासत की पहचान दिलाने के लिए उत्तराखंड के साथ-साथ कई राज्यों में अपनी प्रदर्शनी लगा चुके हैं। उनकी प्रदर्शनी की काफी सराहना की गई। यहां तक कि कठपुतली प्रदर्शनी के दौरान उत्तराखंड की पारंपरिक वाद्य यंत्र के माध्यम से सांस्कृतिक कार्यक्रम को भी दिखाते हैं, जिससे कि लोग अधिक से अधिक उत्तराखंड की लोक कला और संस्कृति को जान सके।
दान सिंह फर्त्याल ने इन दिनों अपनी टीम के साथ हल्द्वानी में आयोजित किताब कौतिक मेले में कठपुतली की प्रदर्शनी लगाई हुई है। यहां लोगों ने इस प्रदर्शनी की खूब सराहना की। पहाड़ की इस विरासत को बचाने में उनकी पत्नी पुष्पा फर्त्याल भी उनका बखूबी साथ निभाती हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान पुष्पा फर्त्याल भी अपनी लोक कला को दर्शाती हैं।