Chaitra Navratri 2024 : चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। संतान प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा करने से जीवन आनंदमयी होता है। स्कंदमाता का अर्थ होता है स्कंद कुमार की माता। भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय को स्कंद कुमार भी कहा जाता है। उनकी माता पार्वती को ही स्कंदमाता कहते हैं।
स्कंदमाता को पसंद हैं पीले वस्त्र
पंडितों का मानना है कि स्कंदमाता की पूजा-अर्चना पीले वस्त्र पहनाकर की जाती है। उन्हें केले और घर में बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है। स्कंदमाता की पूजा शुद्ध और साफ स्थान पर करनी चाहिए। पूजा की शुरुआत में कलश की स्थापना की जाती है। कलश में पानी भरकर उसमें नारियल के साथ पुष्प, मोली और सुपारी आदि डालें। इसके बाद माता की आरती और मंत्रों का जाप करें। आप ॐ देवी स्कंदमातायै नमः’ या ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वपूज्ये स्कंदमात्रे देव्यै नमः’ मंत्र का जाप कर सकते हैं।
स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंदमाता,
पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सब के मन की जानन हारी,
जगजननी सब की महतारी।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं,
हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा,
मुझे एक है तेरा सहारा।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा,
कई शहरों में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे,
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो,
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदि देवता मिल सारे,
करें पुकार तुम्हारे द्वारे।
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए,
तुम ही खंडा हाथ उठाएं।
दास को सदा बचाने आईं,
चमन की आस पुराने आई।