भ्रमित करने वाले विज्ञापनों को लेकर रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड चर्चा में है। उनकी चर्चा की वजह है कोर्ट की अवमानना करना। कोर्ट की अवमानना करने के मामले में रामदेव की कंपनी फंसती नजर आ रही है। कुछ वक्त पहले पतंजलि द्वारा जारी किए गए विज्ञापनों को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने रामदेव की कंपनी पर केस किया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बाबा रामदेव को पेश होने का आदेश दिया था। लेकिन, रामदेव अदालत में पेश नहीं हुए। यही नहीं, उन्होंने कोर्ट की अवहेलना करते हुए बीमारियों के प्रति भ्रमित विज्ञापन भी जारी रखे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए आयुष मंत्रालय से पूछा था कि था कि पतंजलि के ऐसे विज्ञापनों पर उसने रोक क्यों नहीं लगाई? अदालत अब दो सप्ताह बाद इस मामले में सुनवाई करेगी।
बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि द्वारा विज्ञापनों में दावा किया जाता है कि योग से अस्थमा और डायबिटीज की बीमारी को ‘पूरी तरह से ठीक’ कर सकता है। आप बता दें, सुप्रीम कोर्ट में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की उस याचिका की सुनवाई हो रही थी जिसमें बाबा रामदेव पर टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं को बदनाम करने का अभियान चलाने का आरोप था।
बता दें, IMA ने आरोप लगाया था कि पतंजलि ने कोविड-19 के खिलाफ अपनी दवाइयों को लेकर एक कैंपेन चलाया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को भ्रमित और झूठे विज्ञापन चलाने पर चेतावनी दी थी। इसके बाद भी खास तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए झूठी दवाई चलाने पर रामदेव पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया गया था। इस मामले में बाबा रामदेव के खिलाफ IPC धारा 188, 269, और 504 के तहत सोशल मीडिया पर भ्रमित करने वाले विज्ञापन का इस्तेमाल करने पर केस दर्ज किया गया था।
बीमारियों के इलाज के लिए भ्रमित करने वाले विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि प्रबंधक को अवमानना का 27 फरवरी 2024 को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। लेकिन, उनके द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया था। 21 नवंबर को सुनवाई के दौरान पतंजलि आयुर्वेद के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया कि भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेंगे। यह भी सुनिश्चित करेंगे कि मीडिया में भी किसी तरह का कोई बयान न दिया जाएं। इस आश्वासन को अदालत ने अपने आदेश में भी दर्ज किया है।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमीनुल्लाह की पीठ ने कंपनी के प्रबंधक बालकृष्ण को नोटिस का जवाब न देने पर आपत्ति जताई। अब सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। साथ ही नोटिस के बाद रामदेव के खिलाफ अवमाना की कार्रवाई शुरू करने को कहा।
बता दें कि अगस्त 2022 में आईएमए ने याचिका दायर कर पतंजलि पर आरोप लगाया था कि कोविड के समय सरकारी विज्ञापनों के खिलाफ अपनी दवाइयों का प्रचार किया था। पतंजलि ने कोविड को ठीक करने का दावा भी किया था। कंपनी के ऐसे विज्ञापनों से डॉक्टर्स नाराज हो गए थे।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर 2023 में सुनवाई के दौरान कहा था कि कंपनी ऐसे भ्रामक विज्ञापन छापना बंद कर दे। साथ ही यह कहा कि वह मेडिकल सिस्टम पर भी बयान न दे, जिससे लोग अपनी सुविधा के अनुसार इलाज करा सकें और किसी के प्रभाव में न आएं। लेकिन, पतंजलि के विज्ञापन पर रोक नहीं लगी। बाबा रामदेव ने 23 नवंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने डायबिटीज और अस्थमा को ठीक करने का दावा किया। यही नहीं, दिसंबर 2023 में कंपनी का एक विज्ञापन छपा, जिसमें रामदेव और बालकृष्ण की फोटो थी।
इस पर जज हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने 27 फरवरी को पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड फटकारा था और कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने पर जवाब देने को कहा था। साथ ही हाजिर न होने पर नतीजा भुगतने की चेतावनी दी थी। एलोपैथिक फर्मास्यूटिकल पर अपनी विवादित टिप्पणी करने के लिए IMA के द्वारा कोर्ट में दायर की गई आपराधिक मामलों का सामना करने के लिए रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।