उत्तराखंड में आंगनबाड़ी वर्कर्स के उग्र होते आंदोलन के बीच अब बात बनती हुई नज़र आ रही है। रविवार को आंगनबाड़ी वर्कर्स समेत कई कर्मचारी संघ के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम धामी से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने सीएम को अपनी विभिन्न मांगों पर विस्तार से जानकारी दी। सीएम ने कर्मचारी संघ से उनकी मांगों का ज्ञापन लिया। सीएम धामी ने आश्वासन दिया है कि सरकार जल्द ही उनकी मांगों पर विचार कर उचित समाधान निकालेगी।
इस मुलाकात के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता खुश नज़र आईं। जिसे देखकर यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जल्द ही अपना आंदोलन खत्म कर सकती हैं। हालांकि, अभी इस बारे में उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ ने कोई ऐलान नहीं किया है। इन्हें इंतजार है उन घोषणाओं का जिनको लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आंदोलन कर रही हैं।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता संघ, सेविका कर्मचारी संघ और उत्तराखंड भोजन माता कामगार संघ के पदाधिकारियों ने सीएम से मुलाकात की। इन्होंने सीएम से अपील की है कि जल्द ही इनकी सभी मांगों को मान लिया जाए ताकि वो आंदोलन खत्म कर काम पर लौट सकें। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करने पर मजबूत हैं तो एक मजबूरी धामी सरकार की भी है। लोकसभा चुनाव नज़दीक हैं। आंगनबाड़ी और आशा वर्कर्स का आंदोलन बढ़ता जा रहा है। हर दिन के साथ आंदोलन उग्र हो रहा है। सड़कों पर भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। अगर कर्मचारी संघों की नाराज़दी दूर नहीं की गई तो इसका सीधा खामियाजा सरकार और बीजेपी को चुनाव में उठाना पड़ सकता है। बीजेपी ये बिलकुल नहीं चाहेगी, इसलिए मुलाकात भी हुई है और मांगों पर विचार भी किया जा रहा है।
अब आपको आंगनबाड़ी वर्कर्स के आंदोलन और उनकी मांगों को बारे में बताते हैं। दरअसल, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कई सालों से वेतन बढ़ाने की मांग कर रही हैं। इसको लेकर समय-समय पर प्रदर्शन और धरने भी होते रहे हैं।
क्या हैं आंगनबाड़ी वर्कर्स की मांग?
इस बार उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ के आह्वान पर आंदोलन किया जा रहा है। 20 फरवरी से आंगनबाड़ी वर्कर्स और सहायिकाओं ने कार्य बहिष्कार कर रखा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रदेश सरकार से वेतन बढ़ाने की मांग कर रही हैं। इनकी मांग है कि इन्हें 600 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से न्यूनतम वेतन दिया जाए और प्रतिमाह 18 हजार रुपये मानदेय मिले। 15 साल से काम कर रहीं आंगनबाड़ी वर्कर्स का वेतन हर साल बढ़े। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को राज्य कर्मचारी का दर्जा मिले और उन्हें नियमित किया जाए। रिटायरमेंट के वक्त 5 लाख रुपये देने का प्रावधान हो। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को गोल्डन कार्ड जारी किया जाए। साथ ही उन्हें सभी सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिले। ये सभी वो मुख्य मांगें हैं जिनको लेकर पिछले कुछ महीनों से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हल्लाबोल कर रही हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस बार पीछे हटने के मूड में नहीं हैं। आशा वर्कर्स ने भी दो टूक कह दिया है कि मांगें पूरी नहीं होने तक आंदोलन नहीं रुकेगा। कर्मचारी संघों के आह्वान पर पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जा रहा है। सड़कों पर विरोध मार्च किया जा रहा है। कार्य बहिष्कार है। चुनाव के बहिष्कार का ऐलान भी किया जा चुका है। दिल्ली कूच की भी तैयारी कर ली गई है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि अगर धामी सरकार से उन्हें उनका हक नहीं मिलेगा तो फिर वो दिल्ली पहुंचकर सीधे मोदी सरकार से अपना हक मांगेगी। अगर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दिल्ली की तरफ जाता है तो इसकी गूंज पूरे देश में सुनाई पड़ेगी। इस आंदोलन का व्यापक असर भी देखने को मिल रहा है। इससे चुनावी मौसम में सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि चुनावी प्रक्रिया से लेकर सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन तक आंगनबाड़ी और आशा वर्कर्स की अहम भूमिका होती है। ऐसे में धामी सरकार भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगों पर विचार करने के लिए मजबूर है। मांगों का पत्र सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपा जा चुका है। माना यही जा रहा है कि धामी सरकार जल्द ही आंगनबाड़ी और आशा वर्कर्स को बड़ा तोहफा दे सकती है। लेकिन ये ऐलान कब होगा बस इसी का इंतजार है।