उत्तराखंड को लेकर रिसर्च संस्थानों ने बताया है कि प्रदेश की 13 ग्लेशियर झीलें खतरे में है। रिसर्च में कहा गया है कि इन 13 झिलो में तेजी से फैलाव बढ़ रहा है, जो आगे चलकर केदारनाथ में हुए आपदा जैसा बन सकता है। इन ग्लेशियर झीलों की निगरानी के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक विशेष टीम को रखा है । यह विशेष टिम सरकार को इन झिलों की रिपोर्ट देगीं जिसकी मदद से बचाव की तैयारियां की जाएगीं।
इन झिलों की जांच सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा और अन्य रिसर्च संस्थानों द्वारा की गई हैं। गंगोत्री ग्लेशियर के साथ बहुत सी झीलें हैं, जीनका फैलाव तेजी से बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने बताया कि गंगोत्री ग्लेशियर की निगरानी की जा रही है। तो वहीं बसुधारा ताल की निगरानी वाडिया इंस्टीट्यूट कर रहा है।
खतरे में है ये झिले
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के वैज्ञानिकों ने बताया कि भागीरथी, मंदाकिनी, अलकनंदा नदियों के निकट ग्लेशियर झीलों की निगरानी की जा रही है। जिसमें पाया गया कि केदारताल, भिलंगना व गौरीगंगा ग्लेशियर का क्षेत्र का फैलाव तेजी से बढ़ रहा है, जो आने वाले भविष्य में एक बड़े आपदा को जन्म दे सकता है।
क्या कहा वैज्ञानिकों ने
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि ग्लेशियरों की निगरानी के लिए एक बहुक्षेत्रीय विशेष टीम का गठन कीया गया है। यह टीम उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण नोडल विभाग के रूप में काम करेगा। विशेष टीम ग्लेशियर झीलों का अध्ययन करेगी और इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजेगीं। केंद्र द्वारा दिए गए सुझावों के द्वारा इन झिलो में जन्म लेने वाली आपदाओं से निपटने का काम करेगीं।