Rescue Work in Uttarakhand : उत्तराखंड में भारी बारिश ने तबाही मचाई हुई है। केदारनाथ पैदल मार्ग पर बोल्डर गिरने और रास्ता कटने से तीर्थयात्री फंस गए हैं। उनको निकालने के लिए एसडीआरएफ टीम रेस्क्यू कार्य कर रही है। केदार घाटी में हैली संचालन के लिए मौसम खुलते ही भीमबली से एयरलिफ्ट कर फंसे हुए श्रद्धालुओं को रेस्क्यू करना शुरू कर दिया गया है। वहीं, सुबह सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच से करीब 250 लोगों को मैनुअल रेस्क्यू किया जा चुका है। भारी बारिश के कारण केदार घाटी में रास्ते क्षतिग्रस्त होने के चलते विभिन्न पड़ावों पर फंसे हुए तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन सहित अन्य सुरक्षा बल लगातार कार्य कर रहे हैं।
केदार घाटी में शनिवार को लगातार तीसरे दिन रेस्क्यू एवं राहत कार्य जारी है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि शुक्रवार को रेस्क्यू टीम ने थारू कैंप के पास बड़े पत्थरो में दबे शव को निकाला था। शव के करीब दो मोबाइल और अन्य सामग्री मिली है। शव की पहचान शुभम कश्यप निवासी सहारपुर के रूप में हुई है। शव और प्राप्त सामग्री को चौकी लिनचोली के सुपुर्द किया गया है। इसके अलावा टीम ने मिसिंग लोगों की तलाश के लिए थारू कैंप और छोटी लिनचोली में सर्चिंग की। सर्चिंग के दौरान थारू कैंप में एक मोबाइल प्राप्त हुआ, जिसे चौकी लिनचोली के सुपुर्द कर दिया गया।
आपदा पीड़ितों की धामी सरकार से गुहार, सुरक्षित स्थान पर बसाया जाए
घनसाली विधानसभा के बूढ़ा केदार क्षेत्र में 27 जुलाई को आई आपदा की मार में तोली गांव में एक मां बेटी जिंदा दफन हो गई थी। वहीं, तिनगढ़ गांव में भारी लैंडस्लाइड होने के चलते पूरा गांव मलबे के ढेर में तब्दील हो गया था। हालांकि, जिला प्रशासन द्वारा पूरे गांव को पहले ही खाली करा दिया गया था और ग्रामीणों को राजकीय इंटर कॉलेज विनकखाल में अस्थायी आपदा राहत शिविर में शिफ्ट कर दिया था।
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आपदा की भेंट चढ़े तिनगढ़ गांव के लोग जिनकी जिंदगी भर की कमाई घर-बार, खेत-खलियान, जरूरी कागजात और घर की सभी चीजें यो तो मलबे के ढेर में दब गईं या फिर पानी के सैलाब में बह गईं। ग्रामीण अपना सामान अब मलबे के ढेर में ढूंढ रहे हैं। इन सभी चीजों को ढूंढते-ढूंढते ग्रामीणों की आंखें नम हो जाती हैं। साथ ही गांव में आए लैंडस्लाइड के मंजर को याद कर सिहर जाते हैं। उनका कहना है कि अब वह कहां जाएं। गांव में आई आपदा में उनका सब कुछ तहस-नहस हो गया है। उन्हें अब अपने एवं बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है। ग्रामीणों की धामी सरकार से मांग है कि उन्हें कहीं सुरक्षित स्थान पर बसाया जाए, जहां वह अपना जावन फिर से शुरू कर सकें।
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