Uttarakhand Forest Smuggler : उत्तराखंड में बेखाफ वन तस्कर जंगलों की बेशकीमती लकड़ी को काटकर खुलेआम तस्करी कर रहे हैं। इस तस्करी के पीछे वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत है। तस्कर जंगल के अंदर प्लॉट सफाई के नाम पर जंगल की बेशकीमती लकड़ियों की तस्करी कर रहे हैं। यही नहीं, लकड़ी तस्करी की शिकायत करने वाले स्थानीय गुर्जरों को भी वन विभाग के कर्मचारी और तस्कर धमकी दे रहे हैं।
तराई पूर्वी वन प्रभाग के रनसाली रेंज के जंगलों से लकड़ियों की तस्करी काफी दिनों से चल रही है। तस्करी रोकने की शिकायत गुर्जर समुदाय के लोगों ने विभागीय कर्मचारियों से की, लेकिन उल्टा वन विभाग के कर्मचारी गुर्जर समुदाय के लोगों को ही झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी देने लगे। गुर्जरों ने इसकी शिकायत विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ उच्च अधिकारियों से की, लेकिन तस्करों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई। तस्करों ने भारी मात्रा में बेशकीमती खैर के पेड़ को काटकर उसकी लकड़ियों को एकत्र किया था।
स्थानीय गुर्जरों का कहना है कि पिछले काफी दिनों से वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से तस्कर लकड़ियों को काट रहे हैं। उनका कहना है कि वन संपदा को संरक्षित करना उनका मौलिक अधिकार है। गुर्जरों ने कहा कि करीब बेशकीमती खैर के 15 पेड़ों को काटकर उनको ठिकाने लगाने का काम किया जा रहा था। उन्होंने रोका तो मौके पर ही लकड़ी छोड़कर तस्कर ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर भाग गए। लकड़ी तस्करी की शिकायत पर जब मीडिया के लोग गुर्जरों के साथ जंगल में पहुंचे तो भारी मात्रा में बेशकीमती खैर के पेड़ कटे हुए थे। मीडिया के आने की सूचना पर वन विभाग के कर्मचारी तस्करों के साथ मौके पर पहुंचकर मीडियाकर्मियों से उलझने लगे।
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वहीं, इस पूरे मामले में वन विभाग के कुमाऊं के चीफ धीरज पांडे का कहना है कि किसी भी तरह की वन तस्करी नहीं होनी दी जाएगी। जो भी लोग इसके लिए दोषी होंगे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस पूरे मामले में उप प्रभागीय वनाधिकारी संतोष कुमार पंत का कहना है कि इस तरह का मामला उनके संज्ञान में नहीं है। अभी तक किसी तरह के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं कि वहां पर पेड़ की कटान हुए है।
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