Forest Department Caught Illegal Lisa : रानीखेत में वन विभाग ने चेकिंग के दौरान शुक्रवार को अवैध लीसा से भरी पिकअप पकड़ी। उसमें से 101 टिन अवैध लीसा बरामद किया। चालक पिकअप छोड़कर फरार हो गया। इन दिनों अवैध लीसा को लेकर वन विभाग काफी सख्त हो गया है। विभाग दिन-रात चेकिंग अभियान चला रहा है।
दरअसल, काफी समय से वन विभाग के पास चीड़ के पेड़ों पर लीसा निकालने के लिए अवैध घाव लगाने की सूचना आ रही थी। इस पर वन विभाग के क्षेत्राधिकारी तापस मिश्रा ने एक्शन लेते हुए छापामारी और चेकिंग अभियान शुरू किया। वन विभाग की टीम ने रामनगर-मोहान मार्ग पर सौनी गांव के पास पिकअप वाहन से 101 टिन अवैध कच्चा लीसा बरामद किया। इसके बाद भारतीय वन अधिनियम 1927 की सुसंगत धाराओं में केस दर्ज किया गया। चालक की खोजबीन शुरू कर दी गई है।
रानीखेत रेंज के वन क्षेत्राधिकारी ने कहा कि मुखबिर की सूचना पर अवैध लीसा ले जा रही पिकअप को पकड़ा गया। यह पिकअप सोनी डांठ के पास पकड़ी गई। पिकअप में चालक-परिचालक नहीं मिले। कुछ देर इंतजार करने पर जब कोई नहीं आया तो पिकअप की चेकिंग की गई। चेकिंग के दौरान उसमें अवैध लीसा पाया गया। इसके बाद इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी गई। उन्होंने कहा कि अवैध लीसा निकालने और ले जाने वाले लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
यह भी देखें : चार दिन बाद बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग खुला, यात्रियों ने ली राहत की सांस
उन्होंने कहा कि चीड़ से निकलने वाला लीसा (रेजिन) राजस्व प्राप्ति का बड़ा जरिया है। लीसा का उपयोग तारपीन का तेल बनाने में होता है। वन विभाग को अकेले लीसा से सालाना डेढ़ से दो सौ करोड़ की आय होती है। चीड़ के पेड़ों से लीसा विदोहन के लिए 1960-65 में सबसे पहले जोशी वसूला तकनीक अपनाई गई, लेकिन इससे पेड़ों को भारी नुकसान हुआ। इसके बाद 1985 में इसे बंद कर यूरोपियन रिल पद्धति को अपनाया गया।
यह भी देखें : दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण का विरोध, सीएम धामी के खिलाफ आक्रोश
इसमें 40 सेमी. से अधिक व्यास के पेड़ों की छाल को छीलकर उसमें 30 सेमी. चौड़ाई का घाव बनाया जाता है। उस पर दो मिमी. की गहराई की रिल बनाई जाती है और फिर इससे लीसा मिलता है। इस पद्धति में पेड़ों की छिलाई अधिक होने से ये निरंतर टूट रहे थे। जंगल में आग लगने के दौरान लीसा घावों पर अधिक आग लग रही थी। साथ ही उत्तम गुणवत्ता का लीसा नहीं मिल पा रहा था।