चमोली में जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले एक दिवसीय तिमुंडिया मेले का शनिवार शाम को समापन हो गया। बदरीनाथ धाम की यात्रा से ठीक पहले आयोजित होने वाले आस्था, चमत्कार और अविश्वसनीय के प्रतीक तिमुंडिया मेले को देखने आने वाले हजारों मेलार्थी जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में जुटे। मेले में तिमुंडिया के पश्वा को कच्चा मांस, 20 किलो कच्चा चावल, 10 किलो गुड़ और दो घड़े पानी पीते देखकर सब दंग रह गए। तिमुंडिया पूजा में बदरीनाथ धाम की सुगम यात्रा की भी कामना की गई। हर साल तिमुंडिया मेला बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से एक हफ्ते पहले शनिवार या मंगलवार को आयोजित किया जाता है। यह जानकारी पूर्व धर्माधिकारी बद्रीनाथ धाम भुवान चंद्र उनियाल ने दी।
पूर्व धर्माधिकारी बद्रीनाथ धाम भुवान चंद्र उनियाल ने बताया कि शनिवार शाम 4 बजे से नृसिंह मंदिर में पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल-दमाऊ के साथ तिमुंडिया पूजा शुरू की गई। पूजा शुरू होने से पहले ही नृसिंह मंदिर परिसर भक्तों से खचाखच भर गया था। उन्होंने बताया कि पूजा की शुरुआत में देव पुजाई समिति के कार्यालय से समिति के पदाधिकारियों और देवता के पश्वा को ढोल-दमाऊ के साथ नरसिंह मंदिर के प्रांगण में लाया गया। इसके बाद मंदिर प्रांगण में मां दुर्गा का पवित्र आवाम लाठ लाया गया। कहा जाता है कि इसमें मां दुर्गा की शक्ति विद्यमान रहती है। मां दुर्गा के लाठ को प्रांगण में पहुंचाने के बाद नवदुर्गा, चंडिका, भुनेश्वरी, धाणी देवता और तिमुंडिया के पश्वा नाचते हैं। इस दौरान सभी देवी-देवताओं को घड़ों में भरे जल से स्नान कराया जाता है।