“सुहागरात” ये शब्द आपने अपने जीवन में कई बार सुना होगा। लेकिन क्या आप इस शब्द के इतिहास के बारे में जानते हैं! आज हम आपको इस शब्द के बारे में बताएंगे। क्या कभी आपने सोचा है कि दूल्हा और दुल्हन की पहली रात को सुहागरात क्यों कहा जाता है, “सुहागदिन” क्यों नहीं? आखिर दूल्हा-दुल्हन की इस पहली रात को सुहागरात का नाम किसने दिया? आइए जानते हैं…
‘सुहाग’ शब्द संस्कृत शब्द ‘सुहागिनी’ से आया है, जिसका अर्थ ‘सौभाग्यशाली विवाहित महिला’ होता है, इसलिए इसे सुहागरात कहा जाता है और यह पूरी तरह से सुहाग को समर्पित होता है।
बता दें, शादी के दौरान निभाई जाने वाली हर रस्म के पीछे कोई ना कोई वजह होती है। क्या आप सुहागरात की पीछे की वजह को जानते हैं? सुहागरात शब्द को देखें तो ये दो शब्दों से मिलकर बना है। सुहाग और रात, यही वजह है कि इस ख़ास समय को ये नाम दिया गया है, यानी शादी के बाद सुहागन की पहली रात।
सुहाग- यह सुहाग का सबसे सामान्य और प्रचलित अर्थ है। इसका मतलब है कि जब तक पति जीवित है, तब तक स्त्री को सुहागन माना जाता है। पति की मृत्यु के बाद स्त्री को “विधवा” कहा जाता है। सुहाग शब्द संस्कृत के “सु” (अच्छा) और “हाग” (रहना) शब्दों से मिलकर बना है। इसका अर्थ होता है “अच्छे से रहना”। यही सुहाग का सार होता है।