Tehri Dam: टिहरी झील को लगभग 20 वर्ष पूरे होने वाले हैं, यदि विस्थापन की बात करें तो टिहरी झील से लगे आस-पास के गांव का विस्थापन, पुनर्वास और मुआवजा पूर्ण हो चुका है। वहीं, दूसरी ओर झील से लगा हुआ भल्ड गांव भी है। यह गांव उत्तरकाशी जिले का अंतिम गांव है। यहां के कुछ परिवारों को विस्थापित कर दिया गया था, लेकिन लगभग 50 परिवार आज भी विस्थापन की लड़ाई लड़ रहे हैं। इनका कहना है कि अगर हम लोगों को विस्थापित नहीं किया गया तो जल समाधि ले लेंगे।
वैज्ञानिक रिपोर्ट की जांच के अनुसार पाया गया है कि इस गांव में झील के पानी से खेत खलियानों में दरारें आ चुकी हैं, जो भविष्य के लिए खतरा है। ग्रामीणों द्वारा शासन-प्रशासन को पत्राचार के माध्यम से अवगत कराया गया। THDC और टेहरी पुनर्वास के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर को भी अवगत करवाने के बावजूद आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। आश्वासन देने के अलावा अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। यह चूहे-बिल्ली जैसा खेल पिछले 18-19 सालों से चलता आ रहा है।
झील का पानी बढ़ता जा रहा है। झील के किनारे ही पिछले 12 दिनों से ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। धरना स्थल पर एसडीएम उत्तरकाशी ने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीण नहीं मानें और अपना धरना प्रदर्शन जारी रखा। ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि इस बार उनकी मांगों को गम्भीरता से नहीं लिया गया तो जल समाधि ले लेंगे।
स्थानीय निवासी सुमति ने कहा कि धरना देते हुए 12 दिन हो गए हैं, लेकिन हमारी बात सुनने के लिए कोई अधिकारी नहीं आया। उन्होंने कहा कि दो दिन पहले उत्तरकाशी के एसडीएम आए थे। उन्होंने प्रदर्शनकारी सागर भंडारी से कहा कि आप क्यों यहां पर बैठे हैं और लोगों को क्यों गुमराह कर रहे हैं? सुनीता ने कहा कि वह लोग अपने हक से लिए लड़ रहे हैं। सुनीता ने कहा कि हम लोग उत्तरकाशी वाले हैं, इसलिए भेदभाव हो रहा है। हम लोगों के लिए यहां बहुत खतरा है। कहा कि हम लोगों का विस्थापित करने का एक साल पहले आश्वासन दिया गया था, लेकिन अभी तक विस्थापित नहीं किया गया है।
स्थानीय निवासी आनंदी ने बताया कि यहां पर हम लोगों के लिए बहुत परेशानी हैं। जब से टिहरी झील से पानी बंद हुआ है, तब से बहुत दिक्कतें हो रही है। कहा कि पिछले साल भी आश्वासन दिया गया था कि 15 दिन में तुम लोगों को विस्थापित कर देंगे, लेकिन उसके बाद कोई निर्णय नहीं हुआ। आनंदी ने कहा कि हम लोगों के साथ खड़े सागर भंडारी को अधिकारी धमका रहे हैं। टिहरी डैम के अंतर्गत आने वाले सभी गांवों को विस्थापित किया गया, लेकिन उत्तरकाशी के लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
स्थानीय निवासी कमल लाल ने कहा कि वैज्ञानिकों कि रिपोर्ट के अनुसार, भल्ड गांव कभी भी झील में समा सकता है। शासन प्रशासन कह रहा है कि हम जांच करवा रहे हैं। कमल ने कहा कि 2008 से लेकर 2023 तक जितने भी सर्वे हुए, उनकी रिपोर्ट हमारे पास हैं। रिपोर्ट में हर गांव की जानकारी है। कहा कि हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। धरना देते हुए 12 दिन हो गए हैं, लेकिन डीएम एक दिन भी यहां नहीं आए। कमल लाल ने कहा कि हम धरने पर तब तक बैठे रहेंगे, जब तक हमारा विस्थापन नहीं होता है। अगर टिहरी डीएम हमारी बात नहीं सुनते हैं को हम जल समाधि लेने को बाध्य हो जाएंगे।
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प्रदर्शनकारी सागर भंडारी ने कहा कि हम भल्ड गांव के विस्थापन की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। जब तक हमारा गांव विस्थापित नहीं हो जाता, तब तक धरना जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि भू धसाव के कारण पूरा गांव खतरे में है। अगर हमारी मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता है तो सभी ग्रामीण जल समाधि लेने को बाध्य होंगे।
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