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देहरादून में बुलंद हुई पर्यावरण प्रेमियों की आवाज, धामी सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा


Save Forest in Uttarakhand : पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के खिलाफ विरोध की बुलंद आवाज देहरादून की सड़कों पर सुनाई दी। हजारों की संख्या में लोग एक साथ सड़कों पर उतर आए और हाथ में बैनर पोस्टर लेकर सड़कों पर रैली निकाली। इस रैली में बच्चों से लेकर बूढ़ों तक और महिलाओं से युवाओं तक ने भाग लिया। जब देहरादून के हरे भरे पेड़ों को विकास के नाम पर उजाड़ा जाने लगा तो लोग एकजुट होकर सड़कों पर उतर आए और धामी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

देहरादून में सड़कों के चौड़ीकरण और विकास परियोजनाओं के नाम पर पेड़ों को काटा जा रहा है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाए से हरा-भरा देहरादून कॉन्क्रीट का जंगल बनता जा रहा है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। पेड़ों के काटे जाने से पहाड़ों पर गर्मी बढ़ती जा रही है। देहरादून में तो इस साल पारा 43 डिग्री के पार पहुंच गया। जलवायु परिवर्तन का व्यापक असर अब जन जीवन पर पड़ रहा है। ऐसे में देहरादून के लोगों ने पेड़ों को बचाने की कसम खाई है।

राजधानी देहरादून में विकास के नाम पर पेड़ों के कटान पर पर्यावरण प्रेमी अब सरकार के खिलाफ मुखर हो रहे हैं। पिछले दिनों खालंगा में पेयजल परियोजना के लिए सैकड़ों पेड़ों की बलि देने की योजना बनाई गई, लेकिन लोगों के भारी विरोध के बाद इस योजना को रोकना पड़ा। वहीं, अब देहरादून में दिलाराम चौक से सीएम आवास के आसपास सड़क चौडीकरण के लिए पेड़ों को काटने की योजना तैयारी की गई है। इसकी खबर जैसे ही शहरवासियों और पर्यावरण प्रेमियों को लगी तो वो विरोध में सड़कों पर उतर आए।

लोगों का ये विरोध देहरादून के न्यू कैंट रोड को लेकर है। शहर से राजभवन और मुख्यमंत्री निवास की ओर जाने वाली यह सड़क देहरादून की सबसे ठंडी और खूबसूरत सड़कों में गिनी जाती है। सड़क के दोनों ओर हरे-भरे पेड़ हैं। इसी न्यू कैंट रोड पर कुछ महीने पहले एक मॉल बना। इसके बाद सड़क पर वाहनों की आवाजाही बढ़ी तो सरकार ने दिलाराम बाजार से मॉल तक सड़क चौड़ी करने की योजना बना दी। इसके लिए सड़क के दोनों ओर खड़े 244 पेड़ों पर आरी चलाने की योजना थी। दिलाराम चौक से सेंट्रियो मॉल तक पेडों पर पीला मार्क लगा दिया गया है। पेड़ों को काटने के लिए उन पर नंबरिंग भी कर दी गई है। पेड़ कटने ही वाले थे कि शहर के लोग पेड़ों को बचाने के लिए सड़कों पर उतर आए और भारी विरोध जताने लगे। लोगों का आरोप है कि सरकार विकास के नाम पर पेड़ों की बलि दे रही है।

शहरवासियों के साथ पर्यावरण प्रेमियों और अलग-अलग सामाजिक संगठनों ने मिलकर दिलाराम चौक से हाथीबड़कला तक विरोध मार्च किया। इस पैदल मार्च में स्कूली छात्रों और युवाओं के अलावा बड़ी संख्या में महिलाएं और बुजुर्ग भी मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में पेड़ों को बचाने के लिए आवाज बुलंद की।

सिटीजन फॉर ग्रीन दून के आह्वान पर लोगों ने ये विरोध मार्च निकाला। ये संगठन पेड़ बचाने के लिए पहले भी आवाज उठाता रहा है। आशारोड़ी के जंगल हों या थानों के, सहस्रधारा रोड के पेड़ हों या खलंगा के इन्हें बचाने के लिए जो प्रदर्शन देहरादून में किए गए वे इसी संस्था की अपील पर किए गए। इस बार जब संगठन ने पेड़ बचाने के लिए जनता से आह्वान किया तो पूरे देहरादून की जनता एक साथ सड़कों पर उतर आए और पेड़ बचाने की इस लड़ाई को मजबूती प्रदान की। इस विरोध प्रदर्शन में देवभूमि की राइडर बेटियों का मनु शक्ति संगठन भी शामिल हुआ।

सोशल मीडिया से सड़क तक जब विरोध की आवाज तेज हुई तो सरकार के कान खड़े हो गए। आनन-फानन में CM धामी ने न्यू कैंट रोड पर एक भी पेड़ न काटने देने का आदेश दे दिया। न्यू कैंट रोड और आसपास की सड़कों पर बीजेपी नेताओं के नाम पर बड़े-बड़े होर्डिंग्स भी लगा दिए गए। इनमें पेड़ काटने का फरमान वापस लेने के लिए CM धामी का आभार जताया गया, लेकिन देहरादून के लोगों को अब इस पर विश्वास नहीं है।

इससे पहले भी देहरादून में दिल्ली एक्सप्रेस-वे के नाम पर आशारोड और मोहंड में साल के हजारों पेड़ काटे जा चुके हैं। सहस्रधारा रोड चौड़ी करने के नाम पर भी हजारों पेड़ काटे गए। जब इसका विरोध होने लगा तो इन पेड़ों को उखाड़कर दूसरी जगहों पर लगाया गया। देहरादून से लगते खलंगा में भी 2 हजार से ज्यादा पेड़ों को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए काटने का प्रयास किया गया, लेकिन जब देहरादून के बाशिदों ने एकजुट होकर आवाज उठाई तो सरकार को पेड़ों की कटाई पर रोक लगानी पड़ी।

देहरादून में विकास के नाम पर बार-बार पेड़ों को काटा जा रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर देहरादून के पर्यावरण और मौसम पर पड़ा है। देहरादून की जनता को इस बार भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा। ऐसी गर्मी उन्होंने पहले कभी नहीं देखी थी। मौसम का ये बिगड़ता रुख विनाश की आहट है। इसे देहरादून के लोग अच्छी तरह समझते हैं, इसलिए पेड़ों को बचाने के लिए सड़क पर जंग लड़ रहे हैं, ताकि देवभूमि को कंक्रीट का जंगल बनने से रोका जा सके।


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