Prisoners Abscond in Uttarakhand: जहां करोना काल लोगों के लिए एक मुसीबत का सबब बना था तो वहीं कोरोना काल गंभीर अपराधों में जेलों में बंद कैदियों के लिए वरदान साबित हुआ था। इस दौरान कोविड नियमों का पालन करने के लिए कुमाऊं मंडल में कैदियों को पेरोल दी गई थी। इसमें से कुमाऊं मंडल के 4 जेलों के 255 कैदी पेरोल से वापस नहीं पहुंचे। ऊधम सिंह नगर के सितारगंज केंद्रीय जेल से भी पेरोल से आए कैदी फरार हैं। अब फरार कैदियों को पुलिस ढूंढने में लगी है, लेकिन अभी कोई सफलता हाथ नहीं लगी है।
उधम सिंह नगर के एसपी सिटी मनोज कत्याल ने बताया कि जेल प्रशासन की ओर से इन कैदियों को रिहा करने के आदेश के बावजूद इनमें से कई कैदी हत्या, डकैती और चोरी जैसे गंभीर अपराधों में दोषी पाए गए थे, जो अब तक फरार हैं। उन्होंने बताया कि भीड़भाड़ वाली जेलों में कोविड-19 वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जेल नियमों के अनुसार सामान्य एक महीने की अवधि के बजाय 2020 में इन कैदियों को तीन महीने की पेरोल दी गई थी।
एसपी सिटी मनोज कत्याल ने बताया कि पेरोल खत्म होने के बाद 80 कैदी वापस नहीं लौटे। अब यह मामला देहरादून मुख्यालय तक पहुंच गया है। मुख्यालय ने अधिकारियों को इन कैदियों को पकड़ने के लिए प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं।
जेल नियमों के अनुसार, कैदियों को अधिकतम एक महीने के लिए पेरोल दी जा सकती है, जिसे करीब पारिवारिक सदस्यों की मृत्यु या शादी जैसी विशेष परिस्थितियों में तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है। कुछ मामलों में लंबी अवधि की सजा काट रहे कैदियों को राज्य सरकार या जिला मजिस्ट्रेट की मंजूरी से 14 दिनों तक की पेरोल दी जा सकती है।
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एसपी सिटी मनोज कत्याल ने कहा कि विभाग ने भगोड़ों का पता लगाने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। उन्हें पकड़ने और हिरासत में वापस लाने के लिए पुलिस टीमें बनाई गई हैं।
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