Piran Kaliyar Annual Urs: रुड़की के पिरान कलियर शरीफ स्थित विश्व प्रसिद्ध दरगाह साबिर पाक रहमतुल्ला अलेह के 756वें उर्स मुबारक में बारह रबिउल अव्वल के दिन बड़ी संख्या में जायरीन साबिर पाक के रोजे मुबारक की जियारत करने के लिए पहुंचे। भीड़ का आलम यह रहा कि कलियर शरीफ में पांव रखने की जगह नहीं मिली। देश-विदेश से पहुंचे जायरीनों ने पिरान कलियर शरीफ में जियारत कर मुरादें मांगी।
विश्व प्रसिद्ध दरगाह साबिर पाक में सालाना उर्स अपने चरम पर है। उर्स में देश-विदेश से जायरीन पहुंचते हैं। दरगाह साबिर पाक में चादरपोशी कर दुआएं और मन्नत मांगते हैं। वहीं, उर्स में बारह रबिउल अव्वल के दिन का बड़ा महत्त्व है, क्योंकि इस दिन पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का पैदाइश का दिन भी है और इसी दिन दुनिया से रुखसत भी हुए थे। इस दिन को ईद मिलादुन्नबी के रूप में दुनिया भर में मनाया जाता है।
उर्स में पहुंचे हज़रत सूफी मोहम्मद हाशिम मियां साहब ने बताया कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दुनिया को बुराई से बचने और अच्छाई के रास्ते पर चलने का पैगाम दिया है। उन्होंने कहा कि नबी सिर्फ हमारे ही नहीं, पूरी दुनिया के नबी हैं। सूफी मोहम्मद माजिद मियां ने बताया कि पहले के मुकाबले अब उर्स में व्यवस्था बेहतर है, लेकिन व्यवस्थाओं को और भी बेहतर बनाने की जरूरत है। इसके लिए दरगाह और प्रशासन को मिलकर काम करना पड़ेगा।
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उन्होंने कहा कि अगर कलियर शरीफ उर्स में व्यवस्थाएं और बेहतर होंगी तो उर्स में आने वाले जायरीनों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। कलियर शरीफ साबिर पाक के उर्स मुबारक में शिरकत करने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में जायरीन आते हैं। कहा कि आज का दिन हमारे नबी की पैदाइश का दिन है। उस नबी की पैदाइश का दिन, जिसके लिए रब ने पूरी कायनात बनाई है। वहीं, जायरीनों का मानना है कि साबिर के दरबार में सब की मुरादें पूरी होती हैं।
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