Pandav Nritya: रुद्रप्रयाग में ग्राम पंचायत दरमोला के राजस्व ग्राम तरवाड़ी में देव निशान व पांडवों के गंगा स्नान के साथ पांडव नृत्य का मंचन शुरू हो गया है। पांडव नृत्य गांव में लगभग 20 दिनों तक चलेगा। इससे पूर्व गत सोमवार शाम ग्रामीण ढोल दमाऊ के साथ देव निशान एवं घंटियों को स्नान कराने के लिए अलकनंदा-मंदाकिनी के संगम स्थल पर पहुंचे थे।
पिछले कई वर्षों की भांति इस बार एकादशी की पूर्व संध्या पर दरमोला, तरवाडी, स्वीली-सेम गांव के ग्रामीण देव निशानों को पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ गंगा स्नान के लिए अलकनंदा-मंदाकिनी के तट पहुंचे। यहां पर ग्रामीणों ने रातभर जागरण करने के साथ देवताओं की चार पहर की पूजाएं संपन्न कीं। इस अवसर पर भंडारे का आयोजन भी किया गया।
ग्रामीणों ने मंगलवार सुबह भगवान बद्री विशाल, लक्ष्मी नारायण, शंकरनाथ, तुंगनाथ, नागराजा, चामुंडा देवी, हित, ब्रहमडुंगी, भैरवनाथ समेत कई देवों के निशानों के साथ ही पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों को स्नान कराया। इसके बाद पुजारी व अन्य ब्राह्मणों ने भगवान बद्री विशाल समेत सभी देवताओं की वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विशेष पूजा-अर्चना शुरू की। हवन और आरती के साथ देवताओं का तिलक हुआ। भक्तों के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
देव निशानों ने नृत्यकर भक्तों को आशीर्वाद भी दिया। यहां पर पूजा-अर्चना के पश्चात सभी देव निशानों ने ढोल नगाडों के साथ अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान किया। ग्राम पंचायत दरमोला में प्रत्येक वर्ष अलग-अलग स्थानों पर पांडव नृत्य आयोजन होता है। एक वर्ष दरमोला और दूसरे वर्ष राजस्व गांव तरवाड़ी में पांडव नृत्य का आयोजन होता है। इस वर्ष तरवाड़ी गांव में देव निशानों की स्थापना कर पांडव नृत्य का भव्य रूप से शुभारंभ हो गया है।
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मान्यता है कि इस दिन भगवान नारायण पांच महीने की निंद्रा से जागते हैं, जिससे इस दिन को शुभ माना गया है। सदियों से चली आ रही परम्परा के अनुसार, आज तक गांव में पांडव नृत्य का आयोजन करते आ रहे हैं।
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