Naga Panchami : मसूरी में 500 साल से भी ज्यादा पुराने नाग मंदिर में नाग पंचमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। इस मौके पर मसूरी और आसपास के क्षेत्र से हजारों की संख्या में श्रद्धालु नाग मंदिर पहुंचे। लोगों ने नाग मंदिर में स्थापित 500 साल से भी ज्यादा पुरानी मूर्ति का दुग्धाभिषेक किया और नाग देवता के दर्शन किए। इस मौके पर नाग मंदिर समिति ने 15वां श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का भी विधि-विधान के साथ आयोजन किया।
नाग पंचमी के दिन नाग देवता के मंदिर में मसूरी व आसपास के शहरों और गांवों के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे। श्रद्धालुओं ने मनौती मांगी। इस मौके पर मंदिर समिति ने विशाल भंडारे का भी आयोजन किया। ग्रामीणों ने कहा है कि उनके कुल देवता नाग हैं। जो कोई भक्त इस मंदिर से सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी मुराद अवश्य ही पूरी होती है।
नाग मंदिर समिति के सदस्य होषियार सिंह थापली ने बताया कि नाम मंदिर करीब 500 साल पुराना बताया जाता है। कहा जाता है कि वर्षों पहले गाय चरकर शाम के समय अपनी गौशाला में पहुंचती थी, तो उसके थनों में दूध नहीं पाया जाता था, क्योंकि वह अपना दूध पत्थर पर छोड़कर आ जाती थी। उसे नाग देवता पी जाते थे।
गाय के मालिक ने गाय का पीछा किया तो देखा गाय अपना दूध पत्थर पर छोड़ती है और उस दूध को एक नाग पी रहे थे। तभी से इस स्थान पर नाग मंदिर की स्थापना की गई। इसके बाद क्यारकुली भट्टा गांव के लोग नाग देवता को कुलदेवता मानने लगे।
यह भी पढ़ें : प्रमोशन छोड़ना पड़ेगा भारी, ‘फार गो पॉलिसी’ में बदलाव करने जा रही प्रदेश सरकार
मंदिर के पुजारी गौरव उनियाल ने बताया कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, सावन मास की शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही सर्पदंश या सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
उन्होंने कहा कि नाग पंचमी के पावन त्योहार में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने नाग देवता के दर्शन कर शिवलिंग जलाभिषेक किया और नाग देवता की प्रतिमा पर दुग्धाभिषेक कर परिवार की खुशहाली की कामना की।
यह भी पढ़ें : कांवड़ यात्रा के दौरान संपत्ति को क्षति पहुंचाने वाले हुड़दंगियों से की जाएगी वसूली