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बद्रीनाथ में मास्टर प्लान से प्रभावितों ने किया प्रदर्शन, ये हैं समस्याएं  

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Badrinath Master Plan : बद्रीनाथ मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति और बद्रीनाथ मास्टर प्लान के प्रभावितों ने सोमवार को बदरीपुरी में प्रदर्शन कर विरोध जताया। इस मौके पर आगामी आंदोलन की रणनीति को अंतिम रूप दिया गया। संघर्ष समिति ने मास्टर प्लान से प्रभावित लोगों से मुलाकात की। इस दौरान स्थानीय लोगों ने अपनी समस्या को समिति के सामने रखा।

मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने मास्टर प्लान के तहत बद्रीनाथ में चल रहे निर्माण कार्यों का जायजा लिया। इस मौके पर समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि मूल निवासियों को विश्वास में लिए बिना बद्रीनाथ में निर्माण कार्य चल रहा है। मास्टर प्लान को लागू करने में नियमों की अवहेलना हुई है और मूल निवासियों हक-हकूकधारियों को अपनी आपत्ति दर्ज करने का मौका नहीं मिला। मास्टर प्लान कैसे लागू हो इसके लिए उत्तराखंड अर्बन एंड कंट्री प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट में व्यवस्था है। इस एक्ट के तीसरे अध्याय में नियमों के मुताबिक, पहले ड्राफ्ट मास्टर प्लान को प्रकाशित कर सभी पक्षों को आपत्तियां दर्ज करने का अवसर मिलना चाहिए था, लेकिन सरकार ने बिना अनुमति के ही मकान तोड़ दिए।

संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशन टोडरिया ने कहा कि भले ही मंदिर के चारों ओर 75 मीटर के दायरे में अधिग्रहण हो रहा हो, लेकिन 90% लोगों ने इस कार्य के लिए कोई एनओसी नहीं दी है और न उनको कोई मुआवज़ा मिला है। जब तक उन्हें समुचित मुआवजा नहीं मिलेगा वह निर्माण नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा, प्रसाद सामग्री, कपड़ा और बर्तन आदि बेचकर अपनी जीविका चला रहे हैं। प्रशासन ने मार्च में बिना कोई नोटिस या समय दिए उनका सब कुछ तोड़कर मिट्टी में मिला दिया। लोगों को विश्वास में लिए कोई भी कार्य होगा तो इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार को पुनर्वास और मुआवजा नीति स्पष्ट करना चाहिए। ऐसा न हुआ तो स्थानीय लोगों के साथ जनांदोलन शुरू कर दिया जाएगा।

समिति के लोगों का कहना है कि मास्टर प्लान के चलते स्थानीय लोगों के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया है। जिन लोगों के भवन टूटे हैं, उन्हें सरकार ने अभी तक यह नहीं बताया कि उनका पुनर्वास कहां होगा और मुआवजा कितना मिलेगा। उन्होंने कहा कि यहां पर बाहर की कंपनी काम कर रही है और रोजगार पर भी बाहर के लोग हावी हैं। कहा कि स्थानीय लोगों की उपेक्षा हो रही है।


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