Employees Hunger Strike in Uttarkashi: उत्तरकाशी में उपनल से जुडे कर्मचारियों ने मंगलवार को एक दिवसीय भूख हडताल की और धामी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। उपनल कर्मचारियों का कहना है कि जब वे वर्ष 2018 में हाईकोर्ट से जीत चुके थे तो सरकार को ऐसी कौन सी आवश्यकता पड़ी कि सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
कर्मचारियों ने कहा कि आज अन्य कर्मचारियों के लिए जैसे संविदा आउटसोर्स या दैनिक वेतनभोगी इनके लिए सरकार को हाईकोर्ट का फैसला कैसे याद आ रहा है। कहा कि उनके लिए हाईकोर्ट ने फैसला दिया था। इस फैसले के मुताबिक, कर्मचारियों को चरणबद्द तरीके से नियमित किया जाए और जब तक नियमित नहीं होते हैं तो समान कार्य का समान वेतन दिया जाए।
उन्होंने कहा कि आज सरकार इससे क्यों पीछे हट रही है? क्यों हाईकोर्ट का फैसला लागू नहीं हो रहा है? कर्मचारियों ने कहा कि सरकार तत्काल कोई ऐसा डिसीजन ले कि राज्य में एक ही कानून एक ही नियम लागू हो। उपनल कर्मचारी दोहरे व्यवहार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे।
कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार कर दिया धरना
उत्तराखंड परिवहन विभाग प्रवर्तन कर्मचारी संगठन और उत्तराखंड परिवहन मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के बैनर तले कर्मचारियों ने मंगलवार को कार्य बहिष्कार कर एआरटीओ कार्यालय पर धरना दिया। यह धरना चारधाम यात्रा के दौरान रुद्रप्रयाग में बस हादसा होने के बाद ऋषिकेश के तपोवन में ड्यूटी कर रहे चार कर्मचारियों को निलंबित किए जाने को लेकर दिया गया।
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धरने के दौरान निलंबित किए गए कर्मचारियों की बहाली की मांग की गई। बीते कुछ दिनों पहले भी कर्मचारियों ने दो घंटे का कार्य बहिष्कार किया था। साथ ही मांग पूरी न होने पर पूर्ण रूप से कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी थी। इसके बाद आज से कर्मचारियों ने पूर्ण रूप से कार्य बहिष्कार कर धरना शुरू कर दिया। इससे एआरटीओ कार्यालय के बाहर लोगों की भारी भीड़ लग गई। इस कारण राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
ग्रामीणों ने धामी सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन
अल्मोड़ा के 25 गांवों को नगर पालिका में शामिल करने के विरोध में ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया। खत्याड़ी, माल, सरकार की आली सहित जिले के आसपास के 25 गांवों के ग्रामीणों ने चौघानपाटा में जोरदार नारेबाजी की। प्रदर्शन में अल्मोड़ा विधायक मनोज तिवारी भी शामिल रहे। ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में अल्मोड़ा में कुछ गांवों को नगर पालिका में शामिल किया गया था, लेकिन नगर पालिका में शामिल इन गांवों में कोई विशेष बजट या सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। ग्रामीणों ने कहा कि सरकार ने फैसला नहीं बदला तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
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