Drinking Water Crisis : उत्तराखंड में पेयजल व्यवस्था से परेशान महिलाओं ने सोमवार को टंकी पर चढ़कर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि हर घर नल से जल पहुंचाने के दावे कर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन उनको घरों का नल सूख चुका है। नल से एक बूंद पानी नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि पेयजल के लिए कोसों दूर जाना पड़ता है। नेता और प्रशासन के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं नहीं दे रहे हैं।
बता दें, अल्मोड़ा में बारिश के बाद भी लोगों को पेयजल के लिए जूझना पड़ रहा है। लोगों को पानी के लिए प्राकृतिक जल स्रोतों की ओर भागना पड़ता है। प्राकृतिक जल स्रोतों भी काफी दूर होने के कारण लोग वहां की दौड़ लगाकर थक चुके हैं। अल्मोड़ा के पास हवालबाग विकासखंड के बेह औऱ गागिल गांव में लोग एक महीने से पानी के संकट से जूझ रहे हैं। इसी से परेशान होकर बेह औऱ गागिल गांव की महिलाओं ने टंकी पर चढ़कर प्रदर्शन किया। महिलाओं ने कहा कि एक महीने से गांवों में पानी नहीं आ रहा है। इससे उनको परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
महिलाओं ने कहा कि कोसी नदी से पास के गांवों को पानी नहीं मिलना गलत है। यह एक गंभीर समस्या है। उन्होंने कहा कि पानी के लिए उनको घर का सारा काम छोड़ना पड़ता है और पूरा दिन केवल पानी की व्यवस्था करने में निकल जाता है। उन्होंने कहा कि उनके घर में लगे नल सूख गए हैं। महिलाओं ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर गांवों में जल की आपूर्ति सुचारू नहीं हुई तो वह सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगी।
बता दें, केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर में पानी की व्यवस्था के लिए हर घर नल योजना की शुरुआत की। इसका उद्देश्य 2024 तक हर घर में पीने के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराना है। इसका फायदा यह होगा कि ग्रामीणों को पानी के लिए दूर-दूर तक भटकना नहीं पड़ेगा। वहीं, उत्तराखंड में लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में लोगों में धामी सरकार के प्रति आक्रोश है।