डाक्टर और अस्पताल अब मरीजों के परिजन की अनुमति के बिना ICU में दाखिल नहीं कर पायेंगे। आईसीयू में मरीजों को कब दाखिला देना और कब उन्हें आईसीयू में नहीं रखना है, को लेकर दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। वहीं नीति आयोग की सिफारिश है कि मीठे पेय जैसे कोला और जूस के साथ-साथ उच्च मात्रा में चीनी, नमक और वसा से युक्त खाद्य पदार्थों पर 20 से 30 फीसदी सार्वजनिक स्वास्थ्य कर लगाया जा सकता है।
नए साल से पहले भारत सरकार ने सेहत से जुड़ी दो महत्वपूर्ण नियम जारी किए हैं। इनमें से एक आईसीयू में इलाज के लिए दिशानिर्देश देती है तो दूसरी में जीवनशैली सुधारने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने की बात कही गई है। आईसीयू की आवश्यकता निर्धारित करने के लिए दिशानिर्देश तो पहली बार जारी किए गए हैं। 24 शीर्ष डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा संकलित इन दिशानिर्देशों में उन चिकित्सा स्थितियों का ब्योरा दिया गया है जिनमें मरीज को आईसीयू में प्रवेश की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही दिशानिर्देशों में यह भी बताया गया है कि कब मरीज को आईसीयू में नहीं रखा जाना चाहिए और कब उसे आईसीयू से डिस्चार्ज कर दिया चाहिए।
भारत सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय द्वारा जारी इन दिशानिर्देशों में बताया गया है कि अधिकांश विकसित देशों में संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए रोगियों का परीक्षण करने के लिए प्रोटोकॉल हैं। हालांकि, ये दिशानिर्देश बाध्यकारी नहीं हैं।
गाइडलाइंस में ऐसे करीब सात मानदंड तय किए गए हैं जिसके अनुसार मरीज को आईसीयू में भर्ती किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि सिर्फ किसी अंग के फेल हो जाने, किसी अंग से जुड़ी बाहरी मदद की स्थिति, गहन निगरानी की आवश्यकता वाली गंभीर बीमारी के मामले, रोगी को श्वसन सहायता की आवश्यकता होने, सर्जरी के बाद के मामलों में हालत बिगड़ने से रोकेने, चेतना का स्तर परिवर्तित हो जाने आदि स्थितियों में ही मरीज को भर्ती किया जाए।
मरीज की वसीयत में या मरीज के रिश्तेदारों की मर्जी के खिलाफ रोगी को आईसीयू में भर्ती नहीं किए जाने का निर्देश है। जब मरीज को ऐसी बीमारी हो जिसमें ठीक होने की संभावना सीमित हो या फिर जब उपचार से लाभ होने की संभावना नहीं हो तो भी मरीज को आइसीयू में भर्ती नहीं किया जाए।