Uttarakhand Madrasa: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस कॉनफ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में बच्चों से जुड़े कानून के अधिकारों के क्रियान्वयन के संबंध में बैठक की है। उन्होंने बताया कि 14 अलग-अलग विभागों के साथ बैठक की गई है। बैठक के बाद 11 पन्नों की एक रिपोर्ट तैयार की गई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियांक ने कहा कि जो रिपोर्ट तैयार होगी, उसकी जानकारी अन्य राज्यों के साथ भी साझा की जाएगी।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में इस क्षेत्र में अच्छा कार्य किया गया है। समीक्षा बैठक के दौरान राज्य सरकार की तरफ से बच्चों के लिए संचालित की जा रही योजनाओं की जानकारी भी ली गई। जिसके तहत कोविड काल के दौरान अपने परिजनों को खो चुके बच्चों को आर्थिक सहायता दी जा रही है। इसके साथ ही दिव्यांग बच्चों को भी आर्थिक सहायता दी जा रही है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रेस कॉन्फ्रेस के दौरान कहा कि शिक्षा विभाग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में कुछ खामियां पाई गई है, जिसे दूर करने के लिए निर्देश दिए गए हैं, जल्द ही उन खामियों को भी दूर कर लिया जाएगा।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि एससी, एसटी, ओबीसी विभाग के साथ भी बैठक की गई है। उन्होंने बताया कि एक मदरसा में स्थानीय बच्चों से फीस लेकर पढ़ाया जा रहा था, जांच में पता चला कि स्थानीय स्कूल के साथ टाई अप किया गया था, जोकि नियमों के विरूद्द है। इस मामले को संज्ञान में लिया गया है। उन्होंने कहा कि कई जगहों पर ऐसा भी पाया गया है कि अल्पसंख्यक बच्चों के साथ भेदभाव किया जा रहा है जो कि गलत है। उन्होंने कहा कहा कि जांच के दौरान कुछ ऐसे भी मदरसे मिले जो बाहर राज्यों के बच्चों को पढ़ा रहे थे।
राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियांक ने कहा कि सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त मदरसा में हिंदू बच्चों को भी पढ़ाया जा रहा है। अभी भी 196 हिंदू बच्चे मदरसे में पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि 15 दिन का समय अल्पसंख्यक विभाग को जवाब के लिए दिया गया है, जिसमें गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसा में शिक्षा दी जाती है। इस मामले में उत्तराखंड के सभी जिला अधिकारी को दिल्ली बुलाया जाएगा और जवाब मांगा जाएगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द उत्तराखंड सरकार को नोटिस भेजा जाएगा।