रास्ता है तो मुश्किलें हैं, मुश्किलें हैं तो हौंसला है, और हौंसला है तो विश्वास है। क्योंकि फाइटर हमेशा लड़ता है और लड़कर जीतना जानता है। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी ही प्रतिभावान खिलाड़ी की जो हमारे और आपके जैसी कॉमन दिखती तो हैं, लेकिन ऐसा है नहीं।
हम बात कर रहे हैं कनिष्का शर्मा की, जो बोल और सुन नहीं सकतीं, लेकिन अपने हुनर से अच्छे अच्छों को मिनट में धूल ज़रूर चटा सकती हैं। भोपाल की रहने कनिष्का कक्षा 7 में पढ़ती हैं और महज 15 साल की उम्र में ही इन्होंने ताइक्वांडो खेल में देश का नाम रोशन कर दिया है। कनिष्का ने स्टेट लेवल पर अब तक 5 गोल्ड मेडल और कई सिल्वर, ब्रॉन्ज़ मेडल अपने नाम कर लिए हैं। अब इनका अगला निशाना इंडिया से बाहर जाकर विदेश में अपने हौंसले और हिम्मत की उड़ान से ताइक्वांडो में फाइटर गर्ल का परचम लहराना है। कनिष्का के कोच भी विदेश में आगामी ताइक्वांडो सीरीज़ के लिए कनिष्का को पूरी ट्रेनिंग देकर सामने वाले फाइटर को जमीन पर चित्त करने के लिए ट्रेंड कर रहे हैं। वो कहते हैं कि बेशक कनिष्का बोल और सुन नही सकती लेकिन वो दिमाग से काफी तेज है और कब कहां कैसे अपने दुश्मन पर वार करना है, ये खुब समझती हैं और यही उनकी असली ताकत है।
कनिष्का शर्मा के कोच जगजीत सिंह का कहना है की शुरुआती दिनों में इन्हे सिखाने में काफी दिक्कतें आई थीं। लेकिन लड़की की हिम्मत ने हमें ये अहसास करवाया की इसके हौंसले को ताकत की जरूरत है, और हम जो इशारों में सिखाते उसी को इसने अपनी जीत का लक्ष्य बनाया और 5 गोल्ड मेडल जीते हैं।
हालांकी कनिष्का को एक और कोच अर्जुन रावत का भी सहयोग मिल रहा है जो कनिष्का को विदेश में होने वाले ताइक्वांडो में जीत के लिए टिप्स सीखा रहे हैं। लेकिन कनिष्का को उसके साथ सीख रहे सभी साथियों का भी काफी सहयोग मिल है और अब यही उसकी असली ताकत बन चुकी है।
मीडिया से बातचीत करते हुए कनिष्का शर्मा के सहायक अर्जुन रावत ने कहा कि कोच आज भोपाल ही नहीं पूरे एमपी में इस बच्ची की पहचान फाइटर गर्ल के नाम से होती है। बच्ची को खेल मंत्री विश्वास सारंग ने भी अपने बंगले बुलाया और शाबाशी दी। सरकार भी कनिष्का के हौंसले की उड़ान को नए पंख देने की तैयारी कर रही है। क्योंकि ये पहला अवसर होगा जब एक डेफ बच्ची अपने देश की ताकत और हौंसले को दुनिया के सामने रखेगी।