चिपको आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पर्यावरणविद मुरारी लाल का शुक्रवार को निधन हो गया। वे 91 साल के थे। मुरारी लाल पपड़ियाणा गांव के रहने वाले थे। बताया जाता है कि सांस संबंधी समस्या होने के बाद उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया था। यहीं पर सुबह 4 बजे उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। अब शनिवार सुबह उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
बता दें कि मुरारी लाल ने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में लगा दिया। वे अस्पताल में भर्ती होने से पहले भी समाज सेवा करते हुए दिखाई दिए थे। उनके निधन से शोक की लहर फैल गई है। चिपको आंदोलन के प्रणेता चंडी प्रसाद भट्ट के साथ ही सीपीबी पर्यावरण और विकास केंद्र के प्रबंध न्यासी ओम प्रकाश भट्ट और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट समेत कई लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
बता दें, मुरारी लाल ने दसोली ग्राम स्वराज मंडल के साथ मिलकर महिला संगठनों के सशक्तिकरण के लए काम किया। साथ ही इन्होंने अपने गांव पपड़ियाणा में मिश्रित जंगल भी तैयार किया। मुरारी लाल छुआछूत व जात-पात के खिलाफ हमेशा संघर्ष करते रहे। मुरारी लाल का जन्म 10 अक्टूबर 1933 को हुआ था। इन्होंने 1995 से लेकर 1999 तक ग्रामीण विकास अभिकरण चमोली में मनोनीत सदस्य रहे।