Fire in Uttarakhand : उत्तराखंड में आए दिन जंगलों में आग लगती रहती है। इससे बहुमूल्य वन संपदा का नुकसान हो रहा है। इसके साथ ही जंगलों के जानवर भी आग की चपेट में आ रहे हैं। डीएफओ ने लोगों से जंगलों में आग लगाने वाले शरारती तत्वों की जानकारी देने की अपील की है।
पौड़ी और आसपास के क्षेत्र में जगलों में आग लगने की घटना हो रही है, जिससे बहुमूल्य वन संपदा जलकर नष्ट हो रही है। साथ ही जंगलों में रहने वाले वन्य जीव इसकी चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में डीएफओ सिविल सोयम प्रदीप कुमार ने लोगों से अपील की है कि जो भी शरारती तत्व जंगल में आग लगाने की घटना को अंजाम दे रहे हैं, उनके बारे में जानकारी देने वालों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसे शरारती तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से लगातार यह लोग बहुमूल्य वन संपदा को जला रहे हैं, इससे हमारा पर्यावरण दूषित हो रहा है।
प्रदेश के कई जिलों से लगातार जंगलों में आग लगने की खबरें सामने आ रही हैं। जंगल की आग पर नया अपडेट यह है कि 24 घंटे में जंगल में आग की 47 नई घटनाएं हुई हैं। इनमें कुल 53 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। इस तरह पांच महीने के फायर सीजन में जंगलों में आग के मामले बढ़कर 478 हो गए हैं। इन 5 महीनों में 571 हेक्टेयर वन क्षेत्र जलकर राख हो गया। वन संपदा को भी भारी नुकसान पहुंचा।
जंगलों में भड़की आग ने चुनौती बढ़ाई तो सरकार ने भी सख्ती दिखाई। इसके बाद वन विभाग की ओर से मुख्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। साथ ही जंगल की आग की सूचना देने के लिए नंबर भी जारी किया गया है। लोग 1800-180-4141, 013-527-44-558 पर कॉल कर सकते हैं। साथ ही 938-933-74-88 और 766-830-47-88 पर वाट्सएप के जरिये भी आग की खबर दी जा सकती है।
जंगलों में लगी आग को लेकर सीएम धामी और आला अधिकारी लगातार एक्शन में हैं। सीएम धामी पहले ही वन अधिकारियों की बैठक ले चुके हैं। अब मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने वन विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई और सभी जिलाधिकारियों, एसएसपी और डीएफओ को जंगल की आग की रोकथाम के लिए संयुक्त रणनीति बनाने के निर्देश दिए। सचिवालय में वर्चुअल माध्यम से हुई बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जंगलों में आग लगाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को दिए निर्देश में कहा कि इस तरह के गांवों की सूची तैयार की जाए, जिसके आस-पास के जंगलों में आग लगने की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। राधा रतूड़ी ने मुख्य वन संरक्षक और वन संरक्षक से हर दिन वर्क रिपोर्ट देने के लिए कहा है। इसमें वो आग पर रोकथाम के लिए किए गए काम की पूरी जानकारी देंगे। काम में लापरवाही बरतने पर अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, आपदा प्रबंधन विभाग ने जंगल की आग की रोकथाम के लिए पांच करोड़ रुपये जारी किए हैं।
उत्तराखंड के ज्यादातर जिलों में जंगल सुलग रहे हैं, लेकिन पौड़ी, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत, नैनीताल और टिहरी वनाग्नि के लिहाज से सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। इनमें 83 स्थान ऐसे हैं, जो अति संवेदनशील हैं, जबकि 250 स्थान संवेदनशील हैं। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलों के डीएम और एसएसपी को जंगलों में आग लगाने वालों को जेल में डालने का निर्देश दिया है। अधिकारियों से मिले इनपुट से पता चला है कि आग लगने की ज्यादातर घटनाएं मानव निर्मित हैं। कई जगहों पर असामाजिक तत्व भी जंगलों में आग लगाने में सक्रिय हैं। बीते दिनों पुलिस ने ऐसे पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। आगे भी ये कार्रवाई जारी रहेगी। साथ ही जंगलों की आग को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।
हर साल 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन घोषित किया जाता है। इस दौरान जंगलों में आग लगने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। वन विभाग और प्रशासन हर साल वनाग्नि की घटनाओं पर काबू करने के लिए करोड़ों रुपये का बजट तैयार करता है, लेकिन धरातल पर उनका बहुत कम असर दिखता है। जंगलों में भड़की आग से भारी नुकसान हो रहा है। इससे पर्यावरण को तो नुकसान हो ही रहा है, साथ ही वन संपदा भी राख हो रही है। इसका खामियाजा आने वाले दिनों में प्रदेशवासियों को उठाना पड़ सकता है। यही वजह है कि अब पूरे प्रशासनिक अमले को जंगल की आग बुझाने का जिम्मा सौंपा गया है। ये भी साफ कर दिया गया है कि अब जंगलों को सुलगाने वालों को जेल की सलाखों के पीछे जाना होगा। हालांकि इन सबसे बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि देवभूमि के जंगलों की आग आखिर कब शांत होगी।