Vat Savitri Vrat 2024: ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखने का विधान है। आज वट सावित्री का व्रत है। वट सावित्री व्रत के मौके पर महिलाएं सुबह से ही मंदिरों और वट वृक्ष की पूजा कर परिवार के सुख शांति के साथ-साथ पति की दीर्घायु की कामना कर रही हैं। पारंपरिक वेशभूषा में महिलाएं सजधज कर सुबह से ही वट वृक्ष के नीचे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना कर पति की लंबी उम्र की कामना कर रही हैं। साथ ही, महिलाएं वट वृक्ष के नीचे बैठ कर सत्यवान और सावित्री की कथा को भी सुन रही हैं।
Vat Savitri Vrat 2024: क्यों किया जाता है वट सावित्री व्रत?
मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा लगाकर विधि विधान से पूजा अर्चना करने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती भव का आशीर्वाद मिलता है। पुराणों के अनुसार, वट वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु व अग्रभाग में शिव का वास माना गया है। यही कारण है कि महिलाएं अपने पति और परिवार की सुख शांति के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं। व्रत के दौरान बरगद के पेड़ के चारों ओर घूमकर महिलाएं रक्षा सूत्र बांध आशीर्वाद भी मांगती हैं।
Vat Savitri Vrat 2024: पूजा करने का महत्व
वट सावित्री व्रत करने वाली महिलाओं का कहना है कि यह सुहागिन महिलाओं का महत्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार का वे पूरे साल बेसब्री से इंतजार करती है। शास्त्रों के अनुसार, जेठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को जो स्त्रियां वट सावित्री की पूजा करती हैं, वे सौभाग्यवती बनी रहती है। साथ ही, वटवृक्ष के अलावा ब्रह्मा और सावित्री की भी पूजा की जाती है।
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Vat Savitri Vrat 2024 पर मंदिरों में उमड़ी महिलाओं की भीड़
हल्द्वानी के विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही महिलाओं की भीड़ उमड़ी हुई है इस दौरान महिलाओं ने मंगल गीत भी गए और सुहाग सामग्रियों को पुरोहित को दान दिया। पुराणों के अनुसार, यह व्रत सावित्री द्वारा अपने पति को पुन: जीवित करा लेने की स्मृति में रखा जाता है। वट वृक्ष की पूजा अखंड सौभाग्य व अक्षय उन्नति के लिए की जाती है। मान्यता है कि सावित्री ने बट वृक्ष की पूजा कर अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस प्राप्त किया था।
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